14 जनवरी 1950 को सांडीखुर्द अब शचीपुरम जौनपुर यूपी में जन्में रामभद्राचार्य के बचपन का नाम गिरिधर लाल मिश्रा था। 5 वीं तक की शिक्षा गांव के विद्यालय में करने के बाद संपूर्णानंद विश्वविद्यालय काशी में पढ़ाई की। जन्म के दो माह बाद ही महाराज की दोनों आंखें खराब हो गईं लेकिन 5 वर्ष की उम्र में गीता व 7 वर्ष में रामचरित मानस कंठस्थ हो गई। 1987 में चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना की। बाद में यह कांच मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वे यहीं के पीठाधीश्वर हैं।
स्वामी रामभद्राचार्य महाराज का कहना है कि कोई छोटा-बड़ा और छूत-अछूत नहीं है। बल्कि शूद्र वह है जो भगवान की भक्ति नहीं करता। अयोध्या राम मंदिर प्रकरण में जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने 441 प्रमाण दिए थे जिनमें से 437 को साक्ष्य परीक्षण में स्पष्ट माना गया।
राजधानी के भेल दशहरा मैदान पर 23 से 31 जनवरी तक होने वाली श्रीराम कथा की शुरुआत कलश यात्रा से होगी। सोमवार दोपहर 12 बजे से बरखेड़ा स्थित श्रीकृष्ण मंदिर से कलश यात्रा निकाली जाएगी। इसमें पांच सौ महिलाएं सिर पर कलश लेकर चलेंगी। साथ ही ढोल, डीजे की थाप पर नाचते-गाते श्रद्धालु चल समारोह में शामिल होंगे। कलश यात्रा में बाइक रैली में युवाओं की टोली धर्म और अध्यात्म का प्रतीक भगवा ध्वज लेकर चलेगी। दिवटिया के महाकाल भक्त मंडल की भव्य प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र होगी। बता दें कि जगतगुुरु रामभद्राचार्य की श्रीराम कथा नौ दिवसीय होगी।