मंदिर में अब दर्शनार्थियों के बैठने के लिए भी समुचित व्यवस्था होगी। प्रस्तावित मंदिर का ले आउट भी जारी कर दिया गया है। मंदिर समिति के संजय अग्रवाल और प्रमोद नेमा ने बताया कि बड़वाले महादेव मंदिर अब पूरी तरह प्लॉट का रूप ले चुका है। गुरु प्रदोष के अवसर पर मंदिर जीर्णोद्धार के लिए साइट प्लान तैयार किया गया।
प्रथम चरण में मंदिर को ग्राउंड लेवल कर पुराना निर्माण ध्वस्त कर दिया और बाबा वटेश्वर के लिए अस्थायी शेड निर्माण किया गया है। मंदिर के पुरातन महत्व को बरकरार रखते हुए बाबा वटेश्वर का स्थान, नंदी महाराज ,लगभग 100 सालों से प्रज्वलित अखंड धुना परिसर में लगा बड़ एवं पीपल का पेड़ एवं स्थायी कुएं का स्थान परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
3000 वर्गफीट का कार्य प्रस्तावित
मंदिर के आर्किटेक्ट मिलिंद जमड़े ने बताया कि पूरे मंदिर परिसर में लगभग 3000 वर्गफीट का कार्य प्रस्तावित है। जिसमें रेड ग्रेनाइट, मकराना का सफेद पत्थर, धौलपुर का सफेद पत्थर, धौलपुर का लाल पत्थर, जैसलमेर टीक स्टोन एवं ललितपुर पिंक ग्रेनाइट लगाया जाएगा। इन पांच प्रकार के पत्थरों से मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इन्हीं पत्थरों से शिवालय का 51 फीट एवं हनुमान जी का 31 फिट का शिखर भी बनेगा । इन सभी की लागत लगभग 5 करोड़ रुपए आने की उम्मीद है। मंदिर निर्माण में पारंगत कलाकारों से कराया जाएगा।
दो मंजिलों पर होंगे दो दरवाजे
मंदिर को आकर्षक बनाने के लिए तीन मुख्य दरवाजे बनाए जा रहे हैं। इसमें मंदिर परिसर में दो दरवाजे दो मंजिलों पर रहेंगे, जबकि बाहर एक मुख्य द्वार रहेगा। एक दरवाजा लगभग 24 फीट का होगा और दूसरे दो दरवाजे 16 फीट के होंगे। इसमें नक्काशी के साथ झरोखों की संरचना होगी। इसी प्रकार तीन आपातकालीन द्वार भी अलग से बनाए जा रहे हैं।
शहर के प्राचीन मंदिरों में शामिल है
यह शिवालय बड़वाले महादेव मंदिर शहर के प्राचीन शिवालयों में शामिल है। इस मंदिर का इतिहास नवाबी दौर के पहले का माना जाता है। यहां बड़ के पेड़ की जड़ में स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं अर्थात शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ। इस बड़ की खासियत यह है कि आमतौर पर बड़ के पेड़ की जटाएं नीचे लटकती है, लेकिन इस बड़ की जटाएं नहीं है। इसलिए इस मंदिर को बड़वाले महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
Must Read- नए वेरिएंट का स्टूडेंट्स पर असर, सामने आई ये असलियत
इस मंदिर परिसर में एक कुंआ भी है। मंदिर से जुड़े पदाधिकारियों का दावा है कि यहां कुएं के पानी से अनेक चर्मरोगी ठीक हुए है। इस कुएं की एक खासियत यह भी है कि कुएं का जल भीषण गर्मी में भी खत्म नहीं होता है। बड़वाले महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।