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भोपाल

शान-ए-भोपाल: 16 साल पहले इस ट्रेन को मिला था आईएससो सर्टिफाइड, अब सभी कोच को बनाया उत्कृष्ट

10 मिनट देरी से रवाना हुई उत्कृष्ट कोच से लैस शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस

भोपालOct 15, 2019 / 10:34 pm

विकास वर्मा

india's 1st ISO certified train shaan-e-bhopal is now running with excellent rack

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भोपाल। देश की पहली आईएसओ सर्टिफाइड ट्रेन का तमगा प्राप्त कर चुकी 12155, 12156 शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस को अब उत्कृष्ट रैक के साथ चलाया जाएगा। पिछले एक सालों से इसमें खराब सीट, एसी से पानी लीकेज, टॉयलेट में गंदगी से सबंधित शिकायतें आ रही थीं। भारतीय रेलवे के उत्कृष्ट परियोजना के रूप में विकसित उत्कृष्ट कोच पूर्णत: ईको फ्रैंडली हैं। इसमें पुराने कोचों में बदलाव कर बेहतर सुविधाओं के साथ नया रूप दिया गया है। उत्कृष्ट कोचों से सुसज्जित शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस को मंगलवार रात 9.15 बजे हबीबगंज स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-1 से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर भोपाल मंडल के डीआरएम उदय बोरवणकर भी मौजूद रहे।

 

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10 मिनट देरी से रवाना हुई भोपाल एक्सप्रेस

सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर रात करीब 8.20 बजे हबीबगंज स्टेशन पहुंच गईं थीं, इसके बाद उन्होंने सामने लगे बी-4 कोच के गेट की पूजा की। इसके बाद वे कोच में गईं और यात्रियों को गुलाब का फूल देकर स्वागत किया। 8.52 बजे वह कोच से ऊतर गईं। सांसद के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए रेल अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर जब तक वे ट्रेन से नहीं उतरीं तब तक ग्रीन सिग्नल नहीं दिया। इसी बीच तमिलनाडु एक्सप्रेस का समय हो गया और रेलवे ने उसे ग्रीन सिग्नल दे दिया। जिसकी वजह से रात 9.05 बजे रवाना होने वाली भोपाल एक्सप्रेस रात 9.15 बजे रवाना हो सकी। यह ट्रेन आम दिनों की तरह 24 कोच के साथ ही रवाना हुई।

 

 

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सिर्फ टॉयलेट हुए उत्कृष्ट, सीटों में कोई बदलाव नहीं

भोपाल मण्डल द्वारा भारतीय रेल में सबसे पहले टॉयलेट में ऑडियो सिस्टम लगाया गया है। यात्री द्वारा दरवाजा खोलते ही सेंसर युक्त सिस्टम टॉयलेट में साफ-सफाई रखने का अनुरोध करता है। वहीं दुर्गंध को दूर करने के लिए फ्लश वॉल्व के साथ ऑटो जनरेटर सिस्टम लगाया गया हैै, जिससे टॉयलेट में खुशबू बनी रहती है। टॉयलेट में एपॉक्सी फ्लोरिंग की गई है, जिससे टॉयलेट फ्लोर सूखा बना रहता है। हालांकि उत्कृष्ट रैक के कोच की सीटों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

 

 

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क्यूआर कोड से मिलेगी हर फोटो की जानकारी

कोच के दरवाजे खुलते ही खूबसूरत विनाइल रैपिंग की वजह से दरवाजा और आस-पास का हिस्सा काफी सुन्दर दिखेगा। कोचों के अन्दर डिजिटल हेरिटेज फोटोग्राफ है, इस पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करने पर उस फोटोग्राफ से संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। इन कोचों में यूनिफाइड पोस्टर भी लगाए गए हैं। प्रत्येक कोच के बाहर की सतह पर दोनों ओर तिरंगा झंडा व महात्मा गांधी की 150 वीं जंयती का लोगो भी लगाया गया है।

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डीआरएम ने निरीक्षण कर दिया था उत्कृष्ट कोच में बदलने के निर्देश

यात्रियों की लगातार शिकायतों के बाद 30 अगस्त को डीआरएम उदय बोरवरणकर ने खुद इसके रैक का निरीक्षण किया था, इस दौरान सामने आया था कि पिछले साल ठंड के मौसम में 22181/22182 गोंडवाना एक्सप्रेस से भोपाल एक्सप्रेस का रैक बदल दिया गया था। जिसके बाद डीआरएम ने भोपाल एक्सप्रेस में उत्कृष्ट रैक लगाने के निर्देश दिए थे। बता दें, भोपाल एक्सप्रेस देश की पहली ऐसी ट्रेन जिसे वर्ष 2003 में पहला आईएसओ-9002 सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ था। यह ट्रेन 23 मई 1999 से संचालित हो रही है। यह ट्रेन अपनी टाइम पंक्चुएलिटी, स्पीड और मेंटेनेंस के लिए जानी जाती थी।

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