पेट के बेक्टीरिया और संक्रमण करे दूर
राजधानी भोपाल की एक मशहूर होटल के शेफ हेमंत राज ने बताया कि, “सरसों तेल एक जीवाणुरोधी, वायरसरोधी और फंफूद रोधी एजेंट के रूप में भी काम करता है और पाचन तंत्र में बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।” कई पकवान तो इसके स्वाद के बिना अधूरे हैं। इसी लिए खाने का शोख रखने वाले इसे खाना पसंद करते हैं। तीखे स्वाद के कारण सरसों का तेल किसी भी पकवान में एक अनोखा स्वाद जोड़ देते है। शहर के कई खास होटलों पर मशहूर डिशेज मस्टर्ड प्रॉन्स ऑइल में ही बनती हैं।”
कैंसर से लड़ने की क्षमता
एक अन्य शोध का हवाला देते हुए शेफ हेमंत ने बताया कि, “सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले तत्व काफी अधिक होते हैं और इसमें भारी मात्रा में लिनोलिनिक एसिड होता है, जो ओमेगा-3 वसा अम्ल में परिवर्तित हो जाता है और कैंसर को रोकने में मदद करता है।” कई चिकित्सक तो ये सलाह भी देते है। “यह सलाह दी जाती है कि सरसों के तेल को खाना पकाने के लिए एकमात्र माध्यम के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और इसके बजाय आप व्यंजन के आधार पर विभिन्न तेलों के संयोजन का उपयोग कर सकते हैं। सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट ज्यादा होता है, इसलिए यह डीप फ्राइंग के लिए आदर्श तेल माना जाता है।”
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 से भरपूर
वहीं,दूसरे शेफ सोनू मालवीय का कहना है कि सरसों तेल का खाना बनाने के साथ-साथ चिकित्सा उपयोग भी है। ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसा अम्ल के सर्वोत्तम अनुपात और संतृप्त वसा की कम मात्रा के कारण अन्य तेलों से यह बेहतर है, इसमें करीब 60 फीसदी मोनोसैचुरेटिड वसा (एमयूएफए), साथ ही पॉलीअनसैचुरेटिड वसा (पीयूएफए), और संतृप्त वसा होती है। ये वसा अम्ल ‘उपयुक्त वसा’ माने जाते हैं।”