प्रदेश के करीब 38 जिला सहकारी बैंकों में ४०० से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। ये 2006 से अपने अनुसार फिक्सेशन कर वेतन ले रहे हैं। एक कर्मचारी ने एक वर्ष में तीन लाख से अधिक वेतन लिया है। यदि ऐसा पांच साल तक भी हुआ तो सभी कर्मचारियों ने करीब 405 करोड़ रुपए ज्यादा वेतन लिया। बैंकवार स्थिति जांच के बाद सामने आएगी।
सहकारिता विभाग ने संयुक्त पंजीयक के माध्यम से बैंकों को 58-बी का नोटिस जारी किया है। इस धारा में जिस संचालक मंडल और बैंक मैनेजरों ने गलत तरीके से वेतन देने अनुमति दी है, उनसे वसूली करने का प्रावधान है। वहीं, संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है। विभाग ने हाईकोर्ट में कैविएट भी लगाई है। अब किसी बैंक का संचालक मंडल कोर्ट में जाता है तब भी वसूली पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।
सहकारिता विभाग ने एक माह पहले बैंकों को नोटिस जारी किया कि जिन बैंकों की स्थिति ठीक है, वह सातवां वेतनमान दे सकते हैं। इसके लिए बैंकों को मुख्यालय में रिप्रजेंटेशन में देना होगा। इसमें परीक्षण किया गया तो पता चला कि 38 में से 10 जिला सहकारी बैंक ही लाभ में चल रहे हैं। ये बैंक सातवें वेतनमान की बात करने मुख्यालय आए तो वेतन के रूप ज्यादा बांटी गई राशि की वसूली निकाल दी गई।
भोपाल, इंदौर, गुना, पन्ना, खरगोन, जबलपुर, बैतूल, झाबुआ, दमोह, धार, राजगढ़, नरसिंहपुर, रायसेन, मंडला, देवास, छतरपुर, शाजापुर, सीहोर सहित २७ बैंक जांच के दायरे में हैं।
सातवां वेतनमान नहीं मिलेगा तो कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे। रजिस्ट्रार रेनु पंत ने आदेश दिए हैं कि वेतन में ज्यादा ली गई राशि संचालक मंडल से वसूली जाए।
– गजानन निमगांवकर, महासचिव, मप्र कोऑपरेटिव बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन
– केसी गुप्ता, पीएस, सहकारिता विभाग इधर, छह बैंकों को लोन देने से रोक सकता है आरबीआइ:—
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) लोन घोटाले की मार झेल रहे पंजाब नेशनल बैंक , यूनियन बैंक और सिंडिकेट बैंक सहित 6 सरकारी बैंकों के लोन देने पर पाबंदियां लगा सकता है। इन बैंकों को इनकी कमजोर व जोखिम भरी स्थिति को देखते हुए प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) श्रेणी में डाला जा सकता है। देना बैंक को भी नए लोन देने से रोका गया है।
इन बैंकों को पीसीए में डालने पर उनके लोन देने पर पाबंदी लग सकती हैं। पीसीए में आने पर यह बैंक अपनी शाखाओं की संख्या नहीं बढ़ा सकेंगे। साथ ही उन्हें अपने शेयर धारकों को डिविडेंड का भुगतान रोकना पड़ेगा।
बैंकों को पीसीए में डालने के आसार नहीं : वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने छह और सरकारी बैंकों को आरबीआइ द्वारा पीसीए श्रेणी में डाले जाने की संभावना से इनकार किया है। अधिकारी ने कहा कि अगली दो तिमाहियों में बैंकों के फंसे हुए कर्ज की स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है। नए दिवालियापन कानून से बैंकों के कर्ज की रिकवरी की प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी। इससे बैंकों के फंसे हुए कर्जों की वसूली बढ़ेगी और अनर्जक आस्तियों (एनपीए) में कमी आने की उम्मीद है। पिछले वर्ष भी एनपीए में सुधार हुआ था।
– 06 सरकारी बैंकों के लोन देने पर लगा सकता
है पाबंदी।
– 11 सरकारी बैंक हैं फिलहाल पीसीए की श्रेणी में।
– 17 तक पहुंच जाएगी पीसीए बैंक की संख्या।
ये बैंक हैं शामिल
इस श्रेणी में इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओबीसी, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं। अगर आरबीआइ छह और बैंकों को पीसीए में डालता है तो यह संख्या 17 पहुंच जाएगी।
क्या है पीसीए
प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन का तात्पर्य शीघ्र सुधार की कार्रवाई है। ऐसे बैंकों को अपने कारोबार में सुधार करने और जोखिमों को घटाने के लिहाज से इस श्रेणी में डाला जाता है। आरबीआइ का उद्देश्य एक तरह से इन बैंकों को चेताना होता है।