गौरतलब है कि के के मिश्रा के आरोपों से आहत सीएम शिवराज ने कुछ महीने पहले भोपाल जिला न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में न्यायाधीश काशीनाथ सिंह ने अपना फैसला सुनाया। जिस मामले में के के मिश्रा को सजा सुनाई गई है। हालांकि बाद में मिश्रा को 50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई थी। जिसके बाद केके मिश्रा भोपाल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे। ये मामला व्यापमं की परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा से जुड़ा है। इस मामले में के के मिश्रा ने प्रेसवार्ता कर सीएम शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह पर आरोप लगाए थे।
बता दें कि व्यापमं की परिवहन भर्ती परीक्षा को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने 7 मार्च 2015 को भोपाल में एक प्रेसवार्ता में सीएम शिवराज सिंह और उनकी पत्नी साधना सिंह पर आरोप लगाया था कि व्यापमं के जरिए सीएम शिवराज सिंह की ससुराल गोंदिया से 19 लोगों का परिवहन आरक्षक पद पर चयन हुआ है। इसके बाद सीएम ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था। जिसके बाद सीएम शिवराज ने कांग्रेस लीडर केके मिश्रा के खिलाफ मानाहानि का मामला दर्ज कराया था।