नागर की पकड़ थी कमजोर, इसलिए रावत को सौंपा जिम्मा
मंत्रियों के बीच मंत्री नागर के पास अब सिर्फ एक ही विभाग वन और पर्यावरण दोनों ही बड़े विभाग हैं। वन विभाग सरकार के लिए अहम रहा है। वन्य प्राणी से जुड़े मामले संवेदनशील हैं। बताते हैं, विभागों पर मंत्री नागर की पकड़ कमजोर थी। कई बार मंत्री और अफसरों के बीच समन्वय की कमी दिखी। अब उनके पास सिर्फ अनुसूचित जाति कल्याण विभाग ही रह गया। काम के बंटवारे के बाद सरकार ने अधिसूचना जारी की है। मंत्री चौहान के अलावा किसी मंत्री के विभागों में बदलाव नहीं है।
एमपी कैबिनेट में अब 19 कैबिनेट मंत्री
अब रामनिवास रावत को मिलाकर सीएम मोहन यादव की कैबिनेट (MP Cabinet) में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 19 हो गई है। वहीं एमपी कैबिनेट में अब दो डिप्टी सीएम और दस राज्यमंत्री हैं।
रावत ने 8 जुलाई को दो बार ली थी मंत्री पद की शपथ
रामनिवास रावत की शपथ भी चर्चा का विषय रही थी। मोहन सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार में उन्होंने अकेले मंत्री पद की शपथ ली थी। वहीं 15 मिनट में ही उन्हें दो बार शपथ लेनी पड़ी थी। दरअसल गलती से उन्होंने मंत्री की जगह राज्य मंत्री बोल दिया था, जिसके बाद राजभवन में उनके मंत्री पद को लेकर उन्हें दोबारा शपथ दिलाई गई थी।
विजयपुर सीट से 6 बार के विधायक रह चुके हैं रावत
रामनिवास रावत के BJP में शामिल होने के साथ ही तय माना जा रहा था कि उनकी वरिष्ठता को देखते हुए BJP उनको मंत्री तो जरूर बनाएगी। साथ ही वरिष्ठता के आधार पर महत्वपूर्ण मंत्रालय की ज़िम्मेदारी भी उन्हें दी जाएगी। बता दें कि रामनिवास रावत श्योपुर की विजयपुर सीट से छह बार के विधायक रह चुके हैं।
रावत के भाजपा में आने से BJP को क्या फायदा
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो उपचुनाव के दौरान BJP रामनिवास रावत को एक बार फिर से विजयपुर सीट से उम्मीदवार के रूप में उतारेगी। रामनिवास रावत ग्वालियर चम्बल से आते हैं, जहां BJP लगातार अपनी पैठ मजबूत करने में जुटी हुई है। इसके साथ ही रावत OBC वर्ग का एक कद्दावर चेहरा भी माने जाते हैं। ये बड़े कारण हैं कि रामनिवास रावत के BJP में शामिल होने के बाद BJP को राजनीतिक और क्षेत्रीय समीकरण दोनों ही आधार पर फायदा मिला है।
दिग्विजय सरकार में भी रह चुके हैं मंत्री
बता दें कि रामनिवास रावत (Ramniwas Rawat) दिग्विजय सरकार में भी मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। अब BJP की सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री के रूप में नजर आएंगे। बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनावों के बाद से ही रामनिवास रावत कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे थे। उनकी वरिष्ठता के आधार पर उन्हें नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने को लेकर भी उनकी नाराजगी किसी से छिपी नहीं रही। यही नाराजगी रावत को बीजेपी में ले गई।