बने मददगार
कोरोना की पहली लहर के बाद कई ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई। ब्लड डोनेट करने वालों की संख्या कम हो गई थी। संक्रमण का खतरा होने के कारण कैम्प का आयोजन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में एक-एक युवा ने प्रोटोकाल का ध्यान रखते हुए ब्लड बैंक और मरीजों से संपर्क किया और सीधे डोनेट करने के लिए पहुंचे। यह काम अब भी जारी है।
जो काम अकेले शुरू किया था अब उसमें कई युवा जुड़ गए। जिस कारण कई बुजुर्गों को दवाओं से लेकर सामान तक मुहैया करा चुके हैं। इनकी संख्या वर्तमान में हजारों में होगी। युवाओं के इस प्रयास को देखते हुए कई संस्थाओं की आंशिक मदद मिली।
इस दिशा में काम करते हुए प्रखर और इनके साथियों ने एक स्टार्टअप शुरू किया है। यह फॉर्मेसी सेक्टर में काम कर रहा है। दवाओं के साथ मेडिकल फील्ड से जुड़ी लगभग सभी सुविधाएं मुहैया कराना इसका उद्देश्य है। यह शुरुआती दौर में हैं। एक कंपनी के रूप में इसे स्थापित किया गया है। धीरे-धीरे इससे बेहतर सुविधाएं जुटाई जा रही हैं।