नए नियमों के तहत खेती और सार्वजनिक जमीनों पर आईटी एवं गैर प्रदूषणकारी उद्योग स्थापित करने के लिए लेंड यूज बदलने का नियम समाप्त कर दिया जाएगा। इन उद्योगों के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से अनुमति लेने की बाध्यता को भी समाप्त किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 77 शहरों के मास्टर प्लान में बदलाव की शुरुआत प्रदेश के चार महानगर भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर से की जा रही है।
एयर कंडीशनर एवं कूलर रिपेयरिंग, नॉन मोटराइज्ड एवं साइकिल असेंबली, कागज का हायड्रोलिक प्रेस से विनष्टिकरण, बायो उर्वरक निर्माण, बिस्किट ट्रे निर्माण, चाय पैकिंग और चॉक बनाना, प्लास्टर ऑफ पेरिस, रुई, सिंथेटिक और वूलन होजरी आयटम बनाना, सीएफएल एवं दूसरे इलेक्ट्रिक लैंप उपकरण बनाना, डीजल पंप की मरम्मत और ईंट एवं पेवर ब्लॉक का निर्माण सहित 744 उद्योग इस सूची में शामिल हैं।
खेती की जमीन पर आईटी और गैर प्रदूषणकारी उद्योगों को नियमों में छूट देने के साथ योगा, स्पोट्र्स, प्राकृतिक चिकित्सा, आर्ट गैलरी, मछली, मधुमक्खी पालन केंद्र और स्वल्पाहार केंद्र को भी छूट के दायरे में लाया जाएगा। पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे के मुताबिक इससे खेती की जमीन पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी और कृषि को बढ़ावा देने का दावा सरकार खत्म कर देगी। टीएनसीपी संचालनालय के प्रस्ताव में कहा गया है कि इस तरह की अनुमतियां सिर्फ प्लानिंग एरिया के दायरे में दी जाएंगी। प्लानिंग एरिया के बाहर ग्रामीण एवं वन क्षेत्रों में यदि किसी की निजी खेती की जमीन है तो भी उस पर इस प्रकार के उद्योग लगाने की अनुमति नहीं मिलेगी। दावा है कि इससे शहर में औद्योगीकरण, रोजगार और निवेश बढ़ेगा।
राहुल जैन, एमडी, टीएंडसीपी