कांग्रेस को बुदनी सीट पर भितरघात का भी खतरा है, क्योंकि पिछली बार महेंद्र सिंह चौहान भितरघात की शिकायतें कर चुके हैं। पटेल परिवार के प्रभाव वाले इस क्षेत्र पर यदि कमलनाथ कोई बड़ा चेहरा उतारते हैं, तब भी पटेल वोट बैंक का संतुलन देखना जरूरी है। बुदनी में कुछ बूथ एेसे हैं, जहां कांग्रेस 2013 के पहले कभी नहीं हारी।
बुदनी से टिकट देने के लिए दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह के नाम पर भी विचार हुआ है, लेकिन लक्ष्मण राजी नहीं हुए। दरअसल, लक्ष्मण सिंह विदिशा लोकसभा सीट पर पिछला चुनाव हार गए थे। दिग्विजय की पत्नी अमृता राय के नाम की चर्चा भी समर्थकों ने चलाई, लेकिन अमृता प्रदेश से चुनाव लडऩा नहीं चाहती हैं।
शिवराज के खिलाफ 2013 में महेंद्र सिंह चौहान चुनाव लड़े थे, लेकिन इस बार वे तैयार नहीं हैं। वे भोपाल की नरेला सीट से राज्यमंत्री विश्वास सारंग के सामने ताल ठोंक रहे हैं।
2013
भाजपा- शिवराज को 128730 वोट
कांग्रेस – महेंद्र सिंह को 43925 वोट
2008
भाजपा – शिवराज सिंह को 75828 वोट
कांग्रेस-महेश सिंह राजपूत को 34303 वोट
2006 उपचुनाव
भाजपा- शिवराज को 66689 वोट
कांग्रेस- राजकुमार पटेल को 30164 वोट
2003
भाजपा – राजेंद्र सिंह को 58052 वोट
कांग्रेस- राजकुमार पटेल को 47616 वोट
बुदनी सीट हमारी प्राथमिकता में शामिल है। इस सीट पर बेहतर चेहरा दिया जाएगा, लेकिन अभी इसे लेकर कुछ तय नहीं हुआ है।
– कमलनाथ, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस ये रहा है सीट का मिजाज
बुदनी सीट भाजपा का गढ़ बन गई है, लेकिन 15 साल पहले ऐसा नहीं था। इस सीट का सियासी मिजाज 1957 से 2003 तक बार-बार बदलता रहा है। 1957 से 1980 तक यह सीट कांग्रेस, निर्दलीय और जनसंघ के बीच बदली जाती रही। फिर धीरे-धीरे भाजपा का गढ़ बनती गई। इस बीच कांग्रेस आई भी तो एक कार्यकाल से ज्यादा काबिज नहीं रह सकी।