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भोपाल

एमपी में बड़ा फर्जीवाड़ा, तहसीलदार-पटवारी ने हथिया ली करोड़ों की जमीन, कई पर एफआईआर

police registered FIR against Aadhartal Tehsildar Harisingh Dhurve and Patwari Jagendra Pipre

भोपालSep 13, 2024 / 04:47 pm

deepak deewan

Jabalpur police registered FIR against Aadhartal Tehsildar Harisingh Dhurve and Patwari Jagendra Pipre

Jabalpur police registered FIR against Aadhartal Tehsildar Harisingh Dhurve and Patwari Jagendra Pipre

police registered FIR against Aadhartal Tehsildar Harisingh Dhurve and Patwari Jagendra Pipre मध्यप्रदेश में जमीन में बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है। अधिकारी ही अपने पदों का दुरुपयोग कर लोगों की जमीन हथिया रहे हैं। ऐसे में ही एक केस में अधिकारियों समेत कई लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। तहसीलदार-पटवारी पर भी करोड़ों की जमीन हथियाने के आरोप लगे हैं। जबलपुर Jabalpur में हुए इस फर्जीवाड़े में केस दर्ज करने के बाद जबलपुर पुलिस Jabalpur Police आरोपियों की गिरफ्तार की कवायद में जुट गई है। एक आरोपी तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे को गिरफ्तार कर लिया गया है।
जबलपुर पुलिस ने रैगवां की 1.1 हेक्टेयर जमीन में फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद आधारताल के तहसीलदार (Tehsildar) हरिसिंह धुर्वे और पटवारी (Patwari) जागेंद्र पिपरे के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की है। अधिकारों के दुरुपयोग, सुनियोजित षड्यंत्र और कूट रचना कर जमीन नामांतरण आदेश पारित करने के आरोप में इस केस में कुल सात लोगों पर प्रकरण दर्ज किया गया है।
तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे ने रैगांव में शिवचरण पांडे की जमीन का अवैध नामांतरण करते हुए श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज कर दिया। करीब 50 वर्षों से राजस्व अभिलेखों में दर्ज शिवचरण पांडे का नाम हटा दिया। 5 दशक पुरानी एक अपंजीकृत वसीयत के आधार पर यह नामांतरण कर दिया गया। तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
मामले की शिकायत और जांच के बाद जबलपुर कलेक्टर (Jabalpur Collector) दीपक सक्सेना ने कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस पर अनुभागीय राजस्व अधिकारी (SDM) शिवाली सिंह ने विजय नगर थाने (Vijay Nagar Police Station) में एफआईआर दर्ज कराई। इस केस में तहसीलदार और पटवारी के साथ ही कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर (Computer Oprator) दीपा दुबे, रविशंकर चौबे, अजय चौबे, हर्ष पटेल और अमिता पाठक के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है।
जांच में पाया गया कि महावीर प्रसाद का नाम जमीन के राजस्व अभिलेखों में कभी दर्ज ही नहीं था। फिर भी उनकी कथित वसीयत पर अवैध नामांतरण किया गया। वसीयत के गवाहों और दस्तावेजों में भी कई अनियमितताएं मिलीं। पटवारी जोगेंद्र पिपरे ने जमीन का मुआयना किए बिना ही रिपोर्ट दे दी। वसीयत और मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच ही नहीं की।
तहसील कार्यालय में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे ने जमीन अपने पिता श्याम नारायण चौबे के नाम दर्ज करवा ली। इस पर तहसीलदार के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के तहत केस दर्ज किया गया।

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