इसी के चलते अब कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश के उन 40 लाख लोगों को 1000 प्रतिमाह पेंशन देने की तैयारी कर रही है, जिन्हें अब तक 100 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती है। वहीं जानकार इसे आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी बता रहे हैं, जानकारों का मानना है कि मध्यप्रदेश में सरकार ने लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ही मंत्रिमंडल का चयन किया है, वहीं इसके तुरंत बाद सरकार अपने वचन पत्र को पूरा कर जनता के सामने एक मिसाल पेश करने की कोशिशों में जुटती दिख रही है।
जबकि सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों में विभागों के बंटवारे के बाद भी अभी तक सरकार पर संकट के बादल बने हुए हैं। दरअसल इसके पीछे का कारण कई विधायकों की नाराजगी को बताया जा रहा है, जो मंत्री पद को लेकर आश्वस्थ थे, लेकिन इसके बावजजूद उन्हें ये पद नहीं दिया गया। ऐसे में जानकार ये भी मानते हैं कि यदि विधायकों में नाराजगी बनी रही तो लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को इसका भूगतान करना पड़ सकता है।
पहला काम पेंशन का…
सूत्रों से समाने आ रही जानकारी के अनुसर सामाजिक न्याय एवं निशक्त कल्याण विभाग के अफसरों ने कांग्रेस के वचन पत्र पर काम भी शुरू कर दिया है। विभाग प्रस्ताव तैयार करने के साथ पेंशनभोगियों का जिलों से नया डाटा भी इकठ्ठा कर रहा है, ताकि पेंशनभोगियों की ताजा स्थिति पता चल सके।
अब ये सारा डाटा कलेक्ट करने के बाद प्रस्ताव स्वीकृति के लिए कैबिनेट के पास भेज दिया जाएगा। वहीं मंत्रियों को विभागों का बंटवारा करने के बाद इस ओर और तेजी से कदम बढ़ने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। चर्चा है कि सामाजिक न्याय एवं निशक्त कल्याण विभाग के अधिकारी इस कोशिश में हैं कि नए मंत्री लखन घनघोरिया के आते ही पहला काम पेंशन का हो जाए।
ज्ञात हो कि सीएम कमलनाथ ने कांग्रेस का वचन पत्र मुख्य सचिव को सौंप दिया था। इसके बाद यह विभिन्न विभागों में वितरित कर दिया गया ताकि सभी विभागों के प्रमुख सचिव अपने अपने स्तर पर वचन पत्र की घोषणाओं का पूरा करने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दें।
इधर, इन विधायकों ने बढ़ाई मुसीबत…
बताया जाता है कि कांग्रेस में मंत्रिमंडल गठन के बाद भी अंदरखाने जमकर बवाल मचा हुआ है। निर्दलीय और अन्य के सहारे प्रदेश में सरकार बनाने में सफल हुई कांग्रेस में एक तरफ जहां पार्टी के ही कई विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज बने हुए बताए जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से निर्दलीय समेत कई विधायक बेहद नाराज हैं और मंत्री पद की मांग कर रहे हैं।
ये है नाराज!
बताया जाता है कि कांग्रेस के विधायक केपी सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह,हरदीप डंग समेत करीब 10 विधायक इन दिनों नाराज चल रहे हैं।
इनके अलावा हीरालाल अलावा,ठाकुर सुरेंद्र सिंह ‘शेरा’सहित कुछ ओर नेता भी सरकार से नाराज बताए जाते हैं।
इस्तीफे की धमकी, ये लगाया आरोप…
वहीं इसी बीच बदनावर से कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने वंशवाद का आरोप लगाते हुए मंत्री पद नहीं देने का आरोप लगाया है। राजवर्धनसिंह का कहना है कि कांग्रेस में आज भी वंशवाद व गुटीय राजनीति हावी है। वंशवाद की राजनीति ने उनका हक छीन लिया है।
उनका कहना है कि मेरे साथ अन्याय हुआ और मैं इसका जवाब इस्तीफा देकर दूंगा। मैं भी अगर किसी पूर्व मुख्यमंत्री या बड़े नेता का बेटा या रिश्तेदार होता तो आज मैं भी मंत्री बन जाता।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि ऐसे ही लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि सत्ता में रहने की रही है। क्या मेरा यह कसूर रहा कि मतगणना के बाद निर्वाचन का प्रमाण पत्र लेते ही में इस अल्पमत की सरकार के लिए दो निर्दलीय विधायकों को लेकर आया।
निर्दलीय विधायक का अल्टीमेटम…
वहीं दूसरी ओर बुरहानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह ‘शेरा’ ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने दावा किया है कि बिना निर्दलीय विधायकों के कमलनाथ की सरकार नहीं चल सकती है और जल्द ही सरकार निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाएगी।
2019 में लोकसभा चुनाव भी है। कांग्रेस को हमारी जरूरत है। उन्होंने साफ किया कि मंत्री पद नहीं देकर सरकार ने उनका नहीं बुरहानपुर की जनता को नजरअंदाज किया। ठाकुर सुरेंद्र सिंह के इस बयान के बाद सियासी हल्कों में हलचल मच गई।
दरअसल कांग्रेस ने केवल वारासिवनी से निर्दलीय जीते प्रदीप जायसवाल को कैबिनेट मंत्री बनाया है। तीन अन्य पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया है।