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Patrika exclusive survey जनता ने बताई कमियां, विशेषज्ञों ने दिए MP के विकास के मंत्र

पत्रिका ने सर्वे में जाना क्या हों विकास के अगले पांच कदम,, स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा पर हो सबसे ज्यादा फोकस, सेहत सुधरे और टैलेंट को मिले राह

भोपालNov 01, 2017 / 12:50 pm

Manish Gite

patrika survey

 

भोपाल। मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर पत्रिका ने पूरे प्रदेश में एक सर्वे के माध्यम से आमजन की राय लेने का प्रयास किया और जाना कि उनके नजरिये में वे कौन से क्षेत्र हैं, जिनमें सबसे ज्यादा काम किए जाने की जरूरत है। यह भी परखा कि किन क्षेत्रों में मप्र अब तक पिछड़ा हुआ है। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने हर क्षेत्र के पांच अहम कदम पर चर्चा की और वे रोड़े भी गिनाए, जिनके कारण देश के हृदयप्रदेश का विकास अटका हुआ है। सर्वे में लोगों ने रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र को बेहद कमजोर माना है। सबसे ज्यादा जरूरत रोजगार बढ़ाने के साथ प्रतिभा पलायन को रोकने की है। सेहत पर ध्यान देने की जरूरत है।

 

देखें सर्वे रिपोर्ट…
अस्पताल हैं पर पर्याप्त साधन और डॉक्टर नहीं
आम जनता ने स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत बताई है। 29.36 फीसदी का मानना है कि रोजगार के अवसर मुहैया कराने के मामले में मप्र पिछड़ा है, जबकि अधिकांश आबादी प्रदेश में युवाओं की है। जो सबसे बड़ी ताकत है। वहीं 28.61 का मानना है कि स्वास्थ्य सुविधाएं ही वेंटिलेटर पर है। सरकार ने जगह-जगह अस्पताल तो खोल दिए हैं, लेकिन वहां न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं न ही संसाधन। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति यह है कि छोटा सा ऑपरेशन भी कराना हो तो मरीज भोपाल और इंदौर की ओर ही भागता है। निजी स्वास्थ्य सेवाएं तो सुधरी हैं, परंतु सरकारी सेवाओं की बेहद कमी है। सड़कों के मामले में स्थिति कुछ संतोषजनक है। 18.98 फीसदी लोग ही मानते हैं कि सड़कों में हम पिछड़े हैं। सड़कों की स्थिति बेहतर हुई है परंतु विश्वस्तरीय सड़कें बनाने में हम अभी काफी पीछे हैं।

 

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लोकसेवाएं बेहतर हों और करप्शन खत्म हो
सर्वे में जब हमने लोकसेवकों के व्यवहार का अध्ययन किया तो ज्यादातर लोग असंतुष्ट नजर आए। सरकारी कार्यालयों में कामकाज की स्थिति को लोग अभी भी निजी के मुकाबले बेहद खराब मानते हैं। सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों का व्यवहार भी ग्राहकों के अनुकूल नहीं है। अपेक्षाकृत कुछ सुधार की बातें भी सामने आई, लेकिन बहुत कम लोगों ने सुधार को माना है। लोक सेवा गारंटी को लेकर भी खासी खुशी लोगों में नजर नहीं आई।

आज भी किसी कार्य को पूरा करने में काफी वक्त लगने की शिकायत ज्यादातर लोगों ने की है। भ्रष्टाचार निवारण की स्थिति को भी लोग अभी सामान्य नहीं मानते। अधिकतर लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए जो कदम उठाए जाने थे, उनमें कहीं न कहीं कमी रह गई है। लोग मानते हैं कि कार्रवाई की स्थिति में भी मध्यप्रदेश अन्य राज्यों के मुकाबले काफी पीछे है। भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता है।
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इधर, पूरा नहीं हुआ नौकरियों का सपना
मध्यप्रदेश में न केवल सरकारी क्षेत्र बल्कि निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो पा रहे हैं। राज्य में प्रतिवर्ष एक लाख लोगों को रोजगार देने का वादा आज तक पूरा नहीं हो सका है। औद्योगिकीकरण की धीमी रफ्तार की मार भी साफ दिखाई दे रही है। इसी कारण प्रदेश में प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार नहीं मिल पाया है। राज्य के विभिन्न रोजगार कार्यालयों में 18 लाख 91 हजार बेरोजगार पंजीकृत हैं। हर साल करीब 25 हजार नए बेरोजगार रोजगार कार्यालयों में पंजीयन कराते हैं।
जनता बोली- दूसरे राज्यों से पढ़ाई में हैं हम पीछे
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में प्रदेश अन्य राज्यों से पीछे है। सर्वे में एक तिहाई लोगों ने माना कि दूसरे राज्यों से बराबरी के लिए बड़े प्रयास की जरूरत है। एक बड़ा तबका मानता है कि उच्च शिक्षा के स्तर में सबसे बड़ा रोड़ा संसाधनों एवं शिक्षकों की कमी है। हालांकि एक हिस्से का सरकार को समर्थन भी मिला है।
कोर्स हो ऐसा जो युवाओं को रोजगार दिला सके
उच्च शिक्षा संस्थानों की सफलता का मूल्यांकन ही इस बात से किया जाता है कि वहां के कितने विद्यार्थी कुशलता हासिल कर नई ऊंचाई छूते हैं। प्रदेश में रोजगार की क्षमता बढ़ी है, ऐसे में शैक्षणिक संस्थानों को भी उसी अनुरूप कोर्स प्लान करना चाहिए।
-प्रो. प्रशांत सालवान, आईआईएम इंदौर
बिजली पहुंची, सड़कें बनीं पर गुणवत्ता नहीं
इंफ्रास्ट्रक्चर में काम हुआ है, पर उसे पूरी तरह संतोषजनक नहीं कह सकते। गांवों में सड़कें बनी हंै, बिजली पहुंची है, अस्पताल-स्कूल खुल गए, लेकिन गुणवत्ता नहीं है। परिवहन की स्थिति बेहद खराब है। भोपाल-इंदौर में बीआरटीएस फेल हो चुका है।
-सविता राजे, आर्किटेक्ट व प्राध्यापक मैनिट
प्रदेश में सुपर स्किल्ड मैन पावर की कमी
मध्यप्रदेश उद्योग मित्र राज्य के रूप में उभरा है। देशी और विदेशी निवेश के प्रयास हो रहे हैं। अभी बहुत कुछ सुधार की गुंजाइश है। मप्र को देश के मध्य स्थित होने का लाभ तो मिल रहा है, लेकिन पोर्ट से दूर होने का नुकसान भी है। सबसे बड़ा रोड़ा सुपर स्किल्ड मैन पावर की कमी है।
-अंशुल मित्तल अध्यक्ष, सीआईआई
सुपरस्पेशलिटी सुविधाओं से बनेगा स्वस्थ प्रदेश
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को व्यापक स्तर पर प्रयास करने होंगे। इसके लिए सरकार को पहले प्राथमिकता तय करना होगी। मानव सेवा से जुड़े इस काम के लिए दो बातें बहुत महत्वपूर्ण है, एक तो संसाधन कैसे हैं और किस तरह की प्रतिभाएं सामने आ रही हैं।
-डॉ. एसएन आयंगर डीन, मेडिकल कॉलेज ग्वालियर
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1 नवंबर को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस है इस मौके पर आज मध्प्रदेश गान गाया जाता है। इस गीत के रचनाकार वरिष्‍ठ पत्रकार महेश श्रीवास्‍तव हैं। बालीवुड गायक शान शांतनु मुखर्जी ने इसे गाया है। संगीत सुनील झा ने दिया है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,

माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जल जिसके पास है,

यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है।
उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है,

स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,

माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।
चंबल की कल-कल से गुंजित कथा तान, बलिदान की,

खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की।

भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है,

अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।
क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण को ज्ञान यहां,

महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां,

कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विषेश है,

ह्रदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,

माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

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