scriptBlog- तब ऐसा लगा जैसे मम्मी-पापा पास बैठे हैं… | patrika shubhotsav 2024 special write up series blog by sanjay madhup international tracker memorable diwali | Patrika News
भोपाल

Blog- तब ऐसा लगा जैसे मम्मी-पापा पास बैठे हैं…

Patrika Shubhotsav सीरीज में दिवाली की यादों का सफरनामा हमें भेजा है संजय मधुप ने। मां की ममता की कहानी सुनाता ये Blog पढ़कर क्या आपको याद आया दिवाली का कोई किस्सा, कहानी या संदेश…

भोपालOct 23, 2024 / 02:16 pm

Sanjana Kumar

PAtrika Shubhotsav
Patrika Shubhotsav 2024: ईमानदारी से कहूं तो दिवाली का यह पवित्र त्‍योहार हमें माता-पिताजी ने जैसा बताया सिखाया था, आज भी याद है। अब वे तो नहीं हैं लेकिन, ऐसा लगता है कि वो हमारे साथ हैं। दिवाली को कैसे मनाना है, क्‍या क्‍या काम करने हैं, सब कुछ उनके ही आदेश से होता था। बच्‍चे जब बड़े हो जाते हैं, नौकरी में आ जाते हैं तब भी, घर की जिम्‍मेदारी माता पिता ही बखूबी निभाते हैं।
वे ही हमें बार-बार बोलते रहते थे कि बेटा देखो दिवाली के कितने कम दिन बचे हैं  और तुमने अभी तक कुछ भी तैयारी नहीं की है। दो दिन पहले तुम काम शुरू करोगे फिर आधे काम बच जाएंगे। उनके बार-बार बोलने से हमारे अंदर नई ऊर्जा उत्‍पन्‍न होती थी, हम लग जाते थे दिवाली की तैयारियों में।

याद आया पत्नी का प्यार…


एक बार की दिवाली का मुझे ध्‍यान आ रहा है। हमारी शादी को थोड़ा समय ही हुआ था। हम जब मार्केट गए तो पत्‍नी ने कहा कि पहले मम्‍मी जी के लिए अच्‍छी सी साड़ी लेंगे। दरअसल साड़ी की दुकान पर कैसे भी मुझे लेकर जाना था उसको। मम्‍मी के लिए एक साड़ी खरीदी फिर एक घंटे तक उलट पुलट करके उसने अपने लिए दो भव्‍य साड़ियां खरीदीं।
सा‍ड़ी की दुकान से बाहर निकलते ही पत्‍नी ने मुझे प्‍यार से देखा और कहा कि आप सचमें बहुत स्‍वीट हो। मैं हर जन्‍म में तुम्‍हें ही पाना चाहती हूं। अचानक उमड़े इस प्‍यार को  देखकर मैंने पूछ लिया, अब कहां चलना है। पत्‍नी बोली दो मिनट के लिए ज्‍वेलरी शॉप पर चलना है। आपको पैसे कुछ भी खर्च नहीं करना है। मैंने तपाक से कहा चलो, पत्‍नी ने शॉप पर पहुंचकर एक पुरानी चेन दी और उसके साथ एक और चेन दी। मैंने कहा कि ये मोटी वाली चेन तो मेरी है। पत्‍नी बोली हां, आपकी ही है, लेकिन आप पहनते तो हो नहीं। वैसे भी ये चेन मेरे पापाजी ने ही तो आपको शादी में दी थी। इसलिए मैं ये दोनों चेन के बदले में एक सोने का हार लेना चाहती हूं।
थोड़़े से पैसे एक्‍सट्रा लगेंगे, घर का सोना घर में ही तो आ रहा है। मुझे भी लगा कि ठीक है सस्‍ते में निपट रहे हैं। लक्ष्‍मी को निराश करना ठीक नहीं है। पत्‍नी को यह भी पता था कि मेरी सैलरी बैंक में आ चुकी है। पत्‍नी ने हारना सीखा नहीं था, यह मुझे पता था, इसलिए हार लिया गया।  
इसके बाद पिता जी के एक दोस्‍त की दुकान से मैंने पापाजी के लिए एक सफेद झक्‍क कुर्ता और पायजामा लिया। दुकान वाला बोला कि बेटा पापा जी मेरा नमस्‍ते बोलना। वहां से निकले तो, पत्‍नी ने याद दिलाया कि  सोफे के कवर, बैडशीट भी खराब हो गए हैं, घर में मेहमान आएंगे। लगे हाथ ले ही लेते हैं, बार-बार कहां टाइम मिलता है मार्केट आने का।
पत्‍नी बोली कप-प्‍लेट भी टूट गए हैं, आपको कितनी बार बोल चुकी हूं लेकिन आपको कुछ याद ही कहां रहता है, मैंने कहाकि हां ले लेते हैं। कप प्‍लेट के साथ डिनर सेट भी ले लिया गया जबकि, दो डिनर सेट पहले से अलमारी के ऊपर पैक रखे हुए हैं।रंगोली, तोरण, दिए, बाती, मोमबत्‍ती, पूजन सामग्री, मिठाई आदि लेने के बाद पत्‍नी बोलीं सुनो ऐसा करो कि मम्‍मी पापा के लिए कुछ खाने का पैक करवा लो और मुझे तो भूख नहीं है थोड़ा सा कुछ खा लूंगी। सुबह के निकले निकले रात को घर पहुंचे।

जम मम्मी की बात सुनकर आ गए आंसू

मम्‍मी बोलीं बेटा बहुत रात कर दी। चलो कुछ खा लो, मैंने तुम सबके लिए खाना बना लिया है। बहू तुम भी बैठो मैं खाना लगाती हूं। इतना सुनते मेरी आंखों में आंसू आ गए, मैंने मां को गले लगा लिया। मैंने मां के पास ही बैठकर खाना खाया और मां की गोद में ही सिर रख लिया। वो मेरे सिर पर हाथ फेरती रहीं, मेरी नींद कब लग गई पता ही नहीं चला।

सुबह उठते ही आवाज लगाई मां… कहां हो तुम। पत्‍नी आई… बोली क्‍या हुआ? मैंने कहा कि कुछ नहीं। शाम को दिवाली पूजन की तैयारी की। ऐसा लगा कि माता-पिता पास में ही बैठे हैं। पूजन के बाद मैंने माता-पिता के फोटो के सामने खड़े होकर प्रणाम किया। हैपी दिवाली मम्‍मी-पापा। उन्‍होंने मुस्‍कुराकर आशीर्वाद दिया।

Hindi News / Bhopal / Blog- तब ऐसा लगा जैसे मम्मी-पापा पास बैठे हैं…

ट्रेंडिंग वीडियो