‘साइबर फ्रॉड के बाद 30 मिनट में पुलिस को बता दिया तो रिकवरी संभव, यही आपका गोल्डन चांस है’
patrika raksha kavach: पत्रिका रक्षा कवच अभियान के तहत पत्रिका टीम ने मप्र साइबर MP पुलिस के एडीजी योगेश देशमुख से पत्रिका की खास बातचीत…। साइबर अपराधों से बचने के लिए बताई अहम जानकारी…।
रूपेश मिश्रा patrika raksha kavach: स्मार्टफोन ने हर हाथ में जगह बनाकर जीवन आसान तो बनाया, लेकिन इससे बढ़ते अपराधों ने सभी को हैरान-परेशान कर रखा है। आम लोगों के साथ यह पुलिस के लिए भी चुनौती बन चुके हैं। पत्रिका रक्षा कवच अभियान के तहत पत्रिका टीम ने मप्र साइबर पुलिस के एडीजी योगेश देशमुख से खास बातचीत कर जानने की कोशिश की है कि पुलिस के लिए साइबर अपराध कितनी बड़ी चुनौती है और निपटने की क्या तैयारियां हैं।
समाज पूरा डिजिटल की ओर बढ़ रहा है। आम जरूरत से बैंकिंग प्रणाली तक डिजिटलाइज हो रही है। इंटरनेट की उपयोगिता के साथ साइबर अपराध की भी एंट्री हुई है। ये दुनियाभर के लिए समस्या है। डिजिटल हाईजीन के रास्ते इसे नियंत्रित कर सकते हैं।
क्या कोरोना के बाद साइबर अपराधों का ग्राफ बढ़ा है?
बिल्कुल, इसमें कोई शंका नहीं है। कोविड के बाद रहन-सहन और काम में बदलाव आया है। वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन मीटिंग और ट्रांजेक्शन अब दिनचर्या में शामिल है। इसी का फायदा साइबर अपराधियों ने उठाया और तेजी से अपराध बढ़े।
पत्रिका के पाठकों से आप क्या अपील करना चाहेंगे।
साइबर अपराधों के विरुद्ध पत्रिका ने लोगों को जागरूक करने का जो अभियान छेड़ा है वो सराहनीय है। इससे पता चलता है कि आप समाज के प्रति कितना संवेदनशील और गंभीर हैं। लोगों को जागरूक करने में पुलिस की पत्रिका अभियान ने जन-जन तक जागरूकता के संदेश पहुंचाने में मदद की है।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज होती ही नहीं है। दरअसल इसमें मानसिक रूप से ऐसा प्रताडि़त कर दिया जाता है कि सामने वाला व्यक्ति कुछ सोच समझ पाने में असमर्थ हो जाता है। भारत की कोई भी जांच एजेंसी ईडी, सीबीआइ या कोई अन्य एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है।
साइबर ठगों तक लोगों का डेटा पहुंच कैसे रहा है?
बच्चे के स्कूल में दाखिला से लेकर शॉपिंग तक कदम-कदम में हम अपनी जानकारी साझा कर रहे हैं। डेटा बेचा भी जा रहा है। जिसको लेकर कानून भी है। पुलिस ऐसे लोगों पर कड़ी निगरानी रखती है।
ठगी का शिकार लोगों को सबसे पहले क्या करना चाहिए?
जितनी जल्दी पुलिस को सूचना देंगे उतनी ज्यादा रिकवरी की संभावना है। पीडि़त को तुरंत 1930 पर शिकायत करनी चाहिए। ताकि आपका पैसा फ्रीज किया जा सके। यदि ठगी के 30 मिनट के भीतर की जाती है तो शिकायत कर दी है। तो पूरी संभावना है कि आपके पैसे बच जाएं। सबसे ज्यादा जरूरी है पैसे को होल्ड करवा देना। लोगों की जागरूकता में अब रिकवरी रेट 2 से बढ़कर 13 प्रतिशत पहुंचा है।
मप्र पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए क्या प्लान कर रहे हैं?
मप्र पुलिस को हाईटेक बनाया जा रहा है। प्रदेश में पांच चरणों में पांच साल में नए प्रोजेक्ट लागू होंगे। प्रत्येक थाने में साइबर डेस्क बना रहे हैं। जिलों में एडवांस टेक्निकल सेल खोला जाएगा। जिसमें साइबर फॉरेंसिक और क्राइम के लिए जरूरी सॉफ्टेवयर होंगे। स्टेट हेडक्वार्टर की लैब हाईटेक बना रहे हैं। पुलिस को भी डार्कवेब, डीपफेक तकनीकी की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।
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