बुजुर्ग मरीज को मिली पहली सुविधा
अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि, 76 साल की बुजुर्ग महिला किडनी फेलयोर से जूझ रही थीं। उसका फिस्चुला खराब हो गया था। ऐसे में डॉक्टरों ने उसे पेरिटोनियल डायलिसिस कराने की सलाह दी। महिला ने इस डायलिसिस के लिए जरूरी कैथेटर पहले ही लगवा रखा था। महिला को फ्लूड लगाकर डायलिसिस की गई।
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दो प्रकार से होता है..
जेपी अस्पताल के डायलिसिस यूनिट के प्रभारी डॉ.वीके दुबे ने बताया कि, डायलिसिस दो प्रकार से होते हैं। एआरएफ (एक्यूट रीनल फेल्योर) के मरीजों को हीमोडायलिसिस किया जाता है। इसमें मशीन के जरिए रक्त साफ किया जाता है। ये मशीन कृत्रिम किडनी की तरह काम करती है। वहीं, क्रॉनिक रीनल फेल्योर के मरीजों का कंटिनुअसली एंबुलेट्री पेरिटोनियल डायलिसिस करना होता है। इसमें पेट पर एक कैथेटर लगा दिया जाता है। इस कैथेटर के माध्यम से परेटोनियल केविटी में फ्लुड भर देते हैं।
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