हाल ही में हुए विधानसभा उप चुनाव के दौरान सचिन बिरला चुनावी सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए थे। दल बदल कानून के तहत कार्यवाही के लिए कांग्रेस के पास यही सबसे बड़ा आधार है। कांग्रेस के पास इसके प्रमाण मौजूद हैं। इसमें चुनावी सभा के वीडियो, फोटो, समाचार पत्रों की कतरनें प्रमुख हैं। जिसमें यह कहा गया है कि वे कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। नियमानुसार सचिन को किसी अन्य दल में शामिल होने के पहले विधायक पद से इस्तीफा देना चाहिए था। अन्यथा यह दल बदल कानून के दायरे में आता है। भाजपा में शामिल होने के बाद भी बिरला ने विधानसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा नहीं भेजा है।
दल बदल के दोषी पाए गए तो छिनेगी विधायकी सचिन बिरला यदि दल बदल के दोषी पाए जाते हैं तों इनकी विधायकी छिनेगी। इन्हें अन्य पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन इत्यादि की भी पात्रता नहीं होगी। ऐसे में अब स्पीकर पर निगाहें टिकी हैं। स्पीकर के निर्णय के बाद ही आगे की दिशा तय होगी।