इसे जोधपुर में आयोजित नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेस के 64 वें वार्षिक समस्या में प्रस्तुत किया। सम्मेलन में एम्स के आपातकालीन चिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. बीएल सोनी को इस प्रस्ताव के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। आने वाले समय में इसे कानूनी जामा पहना कर लागू करने पर भी विचार किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह अंगदान को बढ़ावा देगा।
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डॉ. सोनी ने बताया कि सांस्कृतिक मान्यताओं और शरीर के विकृत होने की चिंता के कारण लोग अंगदान के लिए सहमति देने से हिचकिचाते हैं। इस समस्या का समाधान करते हुए 3डी प्रिंटेड अंग के उपयोग का प्रस्ताव रखा। यह तकनीक दाता के शरीर की स्वाभाविक संरचना को बनाए रखने में संभव है। जो उनके सम्मान को सुरक्षित करती है। साथ ही परिवार की चिंताओं को दूर करती है।
अंगदान में पीछे मप्र
नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की सालाना रिपोर्ट के अनुसार अंगदान के मामले में मप्र देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है। जहां एक तरफ तेलंगाना में देश में सबसे ज्यादा 252 कैडेवर डोनेशन हुए। डॉ. सोनी का यह नवाचार अंगदान को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह दाताओं के सम्मान को बनाए रखते हुए लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करेगा। एक ब्रेनडेड व्यक्ति 20 विभिन्न अंग और ऊतक प्राप्त किए जा सकते हैं। जो कई लोगों की जान बचा सकते हैं।- डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल