जाते-जाते तीन जिंदगियां की रोशन
गिरीश यादव को जब जब डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित किया तो उनके बड़े बेटे विनय यादव ने परिवार के लोगों से परामर्थ कर पिता के अंगों को दान करने का फैसला लिया। इसके बाद गिरीश यादव की एक किडनी बंसल अस्पताल, दूसरी किडनी एम्स भोपाल और लिवर इंदौर भेजा गया। इसके लिए शुक्रवार को भोपाल में बंसल अस्पताल से एम्स तक एक ग्रीन कॉरिडोर बना तो वहीं दूसरा ग्रीन कॉरिडोर बंसल अस्पताल से इंदौर तक बनाया गया। बेटे विनय ने बताया कि उनके पिता गिरीश यादव बुधनी में एडवोकेट थे और अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई व समाज सेवा में खर्च किया। यही वजह रही कि हमने उनकी देह से अंगदान करने का निर्णय लिया है, ताकि पिता जी का शरीर शांत होने के बाद भी किसी के काम आ सके। किडनी एम्स और लिवर इंदौर भेजा
गिरीश यादव की दोनों किडनियों में से एक किडनी भोपाल एम्स में दी गई, जहां एक 21 वर्षीय युवती का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाएगा। दूसरी किडनी बंसल अस्पताल में ही एक मरीज को दी गई। जबकि लिवर इंदौर में किसी मरीज को दिया जा रहा है। गिरीश यादव की उम्र 73 वर्ष होने के कारण उनके हार्ट का डोनेशन नहीं हो पाया। डॉक्टर्स ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण मरीज के बाकी अंग तो ठीक थे, लेकिन हार्ट पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा था। यही कारण रहा कि हार्ट किसी के काम नहीं आ सका।