उत्तराखंड से आए प्रोफेसर सुब्रमण्यम विश्वविद्यालय के देश में 13 कैंपस हैं। इस पंचांग को तैयार करने में सभी की भूमिका है। राजा भोज खुद एक ज्योतिषी थे। इसलिए उन्हें के नाम पर इस कैलेंडर का प्रकाशन किया जाता है। विश्वविद्यालय में एक-एक डाटा का मिलान कर गणना की जाती है। डाटा के आधार पर घटी, पल, नक्षत्र, तिथि, स्टैंडड टाइम, कर्ण, मद्रा, मूर्हत आदि की गणना विभाग द्वारा की जाती है। गणना का कार्य पूरे साल चलता रहता है। पूर्व के वर्ष तक यह केवल विश्विवद्यालयों तक ही सीमित रहता था, लेकिन अब इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए एप भी तैयार किया जा रहा है।सन 2011 में की थी शुरूआत
इस पंचांग को देश भर के विद्वानों द्वारा तैयार किया जा रहा है। भोजराज पंचांग सन 2011 से संस्थान द्वारा तैयार किया जाता रहा है। यह मुख्त: संस्कृत में तैयार हो रहा है। इसकी खासबात यह है कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है। इसका केंद्र बिंदू भोपाल रहेगा। इसमें सभी राज्यों के समय और पस्थिति के अनुसार त्यौहार, वृत, शादी विवाह का उल्लेख किया जा रहा है। जिससे देश के किसी भी कौन के लोग इसे देख का समझ सकें।
क्यों नहीं होगा मतभेद
विवि प्रबंधन के अनुसार पहले यह सिर्फ विश्वविद्यालय के लिए ही तैयार होता था। लेकिन इस समय यह बहुत अधिक देखने में आ रहा है कि त्यौहार, वृत को लेकर काफी विरोधाभास रहने लगा है। इसलिए यह राष्टीय कैलेंडर तैयार किया जा रहा है। इस पंचांग को तैयार करने के लिए व्यवहारिक एवं वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है। इसके लिए संस्थान के पास आधुनिक उपकरणों से संपन्न एक प्रयोगशाला है। जो जिससे ग्रहों और नक्षत्रों का पता लगाया जाता है, जिससे किस तरह के भ्रम की स्थिति न रहे।
पॉकैट में भी रख सकेंगे
शुरूआत में इसकी पांच हजार प्रतियां तैयार की जा रही हैं। साथ ही कुछ पॉकैट कैलेंडर भी तैयार किए जाएंगे, जिसे व्यक्ति जेब में रखकर ले जा सकता है और कहीं भी देख सकेगा। यह लोग दे रहे अंतिम रूप
प्रोफेसर सुब्रमण्यम
प्रो. हंसधर झा
डॉ. रजनी
डॉ. उमेश कुमार पांडे
डॉ. अनिल कुमार
डॉ. आशीष चाैथरी
डाॅ. भूपेंद्र कुमार पांडे
डॉ. रविंद्र प्रसाद