Must see: प्रदेश को खोलने की जल्दबाजी, मंत्री-अफसरों के अजब-गजब फरमान
राजस्व कोर्ट का नोटिस कोटवार के हाथों से वादी-प्रतिवादी किसानों को भेजा जाता है। कोटवार के पास कोई विशेष वाहन भत्ता होता नहीं है, जिससे वह तत्काल नोटिस तामील कराए। ऐसे में जब वह एक- दो माह के अंदर तहसील जाता है, तो अपने अधीनस्थ गांवों, हल्का की नोटिस लेकर जाता है। हल्का से तहसील जाने में अंतराल होने से कई नोटिसों की समय-सीमा तहसील में रखे-रखे ही समाप्त हो जाती है। ऐसा भी होता है कि कोटवार के पास ही महीनों तक नोटिस पड़ी रह जाती है। इससे राजस्व प्रकरणों की सुनवाई और पेशी की बार-बार तारीख बढ़ा दी जाती है। आयोग ने सुझाव दिया है कि जब सरकार ने इलेक्ट्रॉनिकली आदेश को विधिक मान्यता दे दी है, तो इस नोटिस को भी इस दायरे में लाना चाहिए। इस पर अमल करते हुए राजस्व विभाग ने इस संबंध में गाइडलाइन जारी किया है।
Must see: कोविड टीकाकरण में 7वें नंबर पर पहुंचा प्रदेश
प्रति नोटिस मिलेंगे पांच रुपए
कॉमन सर्विस सेंटरों को नोटिस का प्रिंट आउट निकालने के लिए प्रति कॉपी पांच रुपए मिलेगा। नोटिस के साथ जो सहायक पत्र लगे होंगे उसका दो रुपए प्रति कॉपी दिया जाएगा। इसके लिए कियोस्क सेंटर को प्रति माह न्यूनतम सौ रुपए का भुगतान किया जाएगा। किसानों और पक्षकारों को कोर्ट की फीस जमा करने की व्यवस्था की गई है। बताया जाता है कि हाल ही में राजस्व विभाग ने कोर्ट की सौ रुपए फीस निर्धारित की है।
Must see: स्वास्थ्य मंत्री की गाड़ी बनी मयखाना, छलके जाम
कोटवार को रोज जाना पड़ेगा सेंटर
कोटवार को प्रत्येक दिन, अवकाश को छोड़कर सुबह 10 से 11 बजे के बीच कियोस्क और कॉमन सर्विस सेंटर जाना होगा। वह ई -मेल चेक कराएगा, नोटिस के दो प्रिंट आउट लेकर संबंधित वादी-प्रतिवादी किसान को देगा। किसानों से पावती लेकर उन्हीं कियोस्क और कामन सर्विस सेंटर के माध्यम से हफ्ते भर के अंदर संबंधित कोर्ट को स्कैन कॉपी भेजेगा। हार्ड कॉपी अपने पास रखना होगा। जब तहसील कार्यालय जाएगा, वहां हार्ड कॉपी जमा करनी होगी।