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भोपाल

छह साल तक किसी ने काम नहीं मिला, पब में विशाल ने सुना और मेरी जिंदगी बदल गई

प्लेबैक सिंगर रघु दीक्षित ने कहा मैं 300 साल पुराने संगीत पर परफॉर्मेंस देता हूं

भोपालNov 11, 2019 / 11:02 am

hitesh sharma

छह साल तक किसी ने काम नहीं मिला, पब में विशाल ने सुना और मेरी जिंदगी बदल गई

छह साल तक किसी ने काम नहीं मिला, पब में विशाल ने सुना और मेरी जिंदगी बदल गई

भोपाल। बॉलीवुड संगीतकार-गायक विशाल-शेखर ने मेरी जिंदगी बदल दी। मैंने छह-सात साल तक बहुत कोशिश की अपना एल्बम निकालने की। हर दो माह में एक नया गीत रिकॉर्ड करता और मुंबई जाता। हर म्यूजिशियन मेरे गीतों को ठुकरा देता था। मैंने भी हार मान ली थी, मैं सोचने लगा कि शायद मुझे ही गलतफहली है कि मैं अच्छा गाता हूं। मैं एमएससी माइक्रोबायोलॉजी में गोल्ड मेडलिस्ट था। मैंने सोच लिया था कि अब मैसूर जाकर पहले कि साइंटिस्ट बन जाऊंगा। इसी बीच मेरे एक दोस्ट का कॉल आया कि तुझे एक पब में परफॉर्म करने जाना है। मैंने परफॉर्म किया। उस पब में 200 लोगों के बीच विशाल भी थे। उन्होंने मुझे सुना और कहा कि यहां शेखर नहीं है, कल सुबह स्टूडियो में मिलो। सुबह विशाल-शेखर से मुझे सुना और मेरा करियर बन गया। यह कहना है प्लेबैक सिंगर रघु दीक्षत का।

 

जावेद अख्तर ने पूछा हिन्दी कहां से सीखी

उन्होंने बताया कि विशाल-शेखर ने मुझे एक प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि एक नया रिकॉर्ड पेश करेंगे। इसमें हम तुम्हें फस्र्ट आर्टिस्ट के रूप में पेश करेंगे। इस तरह से मेरा एलबम आया। गली ब्वॉय का गाना (ट्रेन सॉन्ग) के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यग गाना मैंने करीब चार साल पहले कन्नड़ में लिखा था। गायक-गीतकार अंकुर तिवारी ने यह गाना हिंदी में लिखने के लिए कहा। जब यह हिंदी में जावेद साहब को सुनाया तो बहुत खुश हुए कि इतनी अच्छी हिंदी कहां सीखी, मैंने हंसते हुए उन्हें कहा कि दूरदर्शन देखकर सीखी।

मैं लोगों को संगीत सुनाता हूं तो एक उसमें एक मैसेज छिपा होता है

उन्होंने अपने बैंड के बारे में बताया 2005 में बैंड शुरू हुआ। मेरे बैंड में पांच लोग हैं, मैं हर जगह परफॉर्म करने जाता रहता हूं। जो भी नए लोग मिलते हैं, वे मुझसे जुड़ते जाते हैं। मेरे बैंड में मुझे छोड़कर कोई भी स्थायी नहीं है। हमारा बैंड लोक संगीत प्रस्तुत करता है, जो दिल से गाया जाता है। मैं शहर में पला-बढ़ा हुआ, मैं अर्बन फोक सिंगर हूं। मैंने कभी संगीत की शिक्षा नहीं ली है। मैं 300 साल पुराने संगीत पर परफॉर्मेंस देता हूं। जो कर्नाटक के कबीर माने जाने वाले संत शिशुनाड़ा शरीफ के दोहे हैं, जो आम भाषा में जीवन दर्शन को समझाते हैं। उन्हीं दोहों को लेकर मैं धुन बनाता हूं और गाता हूं। आज के संगीत के साथ उन्हें पेश किया जाता है तो युवा भी इन्हें पसंद करते है। मेरे लिख खुशी की बात यह है कि संत की ओर से दिया गया संदेश युवाओं तक पहुंच रहा है। अच्छा लगता है कि 16 साल से लेकर बड़ी उम्र के लोग भी इसे पसंद करते हैं। पार्टी करो, ऐश करो, धुंए उड़ाओ ऐसे गाने गाना पसंद नहीं करते हम लोग। हमारे गीतों में आशाओं-उम्मीदों का भाव निहित होता है।

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