अफसरों ने इन क्षेत्रों में पर्यटन की वायबिलीटी का सर्वे तो किया, लेकिन यहां व्यापारिक फ्लो कितना होगा, इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अफसरों ने नए-नए कंसेप्ट लाकर भवन खड़े कर दिए, लेकिन जहां निर्माण किया गया हैं, वहां व्यापारिक गतिविधियां नहीं होने के कारण इन प्रोजेक्ट में ताला लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि पर्यटन निगम के अफसरों ने कमीशन के कारण निर्माण पर तो जोर दिया, लेकिन यहां कितना व्यवसायिक फ्लो मिलेगा इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
१. सैर सपाटा रेस्टोरेंट पर्यटन विकास निगम ने प्रेमपुरा स्थित सैर सपाटा में भव्य रेस्टोरेंट बनाया। इसे निजी हाथों में दे दिया। लेकिन सैर सपाटा में छोटी-छोटी चाट-चौपाटी की खान-पान की दुकाने खोली गई। इसके कारण निगम का यह भव्य रेस्टोरेंट में ग्राहक नहीं पहुंचे। लगातार घाटा होने लगा। करीब दो साल से इसमें ताला लगा हुआ है।
सैर सपाटा में ही निगम ने तालाब के किनारे शानदार बार शुरु किया। इसका संचालन पर्यटन ने अपने हाथों में रखा। शुरुआत में यह खूब चला। तालाब के किनारे और सुंदरता के कारण होटल विंड एंड वेव के बार की तरह ही यह बार भी चलने लगा था। निगम की लापरवाही के कारण खर्चे अधिक होते गए। घाटा होने लगा। अब करीब दो साल से इसमें भी ताला लगा हुआ है।
पर्यटन विकास निगम ने हथाईखेड़ा में बोट क्लब बनाया गया। कैफेटेरिया, गार्डन सहित कई सुविधाओं पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च किया गया। बनने के बाद लगभग दो साल तक इसका संचालन नहीं हो पाया। बाद में पर्यटन विकास निगम ने इसे चलाने के बजाय नगर निगम को देने का प्रस्ताव तैयार किया यहां लोगों की आवाजाही नहीं होने और पहुंचने के लिए ठीक रास्ता नहीं होने के कारण यह नहीं चल पाया। नगर निगम को हेंडओवर कर दिया, लेकिन यहां व्यवसायिक स्कोप नहीं होने के कारण यह क्लब असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है।
मनीषा मार्केट स्थित रैनबो ट्रीट बनाने के लिए राजधानी परियोजना प्रशासन से जमीन ली गई। यहां अच्छा रेस्टोरेंट तैयार किया गया। लेकिन शाहपुरा तालाब के आसपास चाट-चौपाटी होने के कारण इसका व्यापार कमजोर रहा। बाद में यहां से चाट-चौपाटी हटाई गई। निगम ने भी रैनबो को निजी हाथों में दे दिया, लेकिन यहां भी अब ताला लगा हुआ है। सैर सपाटा की तरह ही यहां कई दुकाने खोल दी इसलिए रेस्टोरेंट नहीं चल पाया।
– आकाश श्रीवास्तव महाप्रबंधक, पर्यटन विकास निगम