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स्कूल शिक्षा विभाग ने दिये ये निर्देश
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल फीस से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसके तहत अब प्रदेश के निजी स्कूल अपनी मर्जी से सिर्फ 10 फीसदी फीस ही बढ़ा सकेंगे। इससे अधिक फीस वृद्धि करने पर उन्हें जिला समिति कि मंजूरी लेना अनिवार्य होगी। साथ ही, ये निजी स्कूल 15 फीसद या इससे अधिक फीस बढ़ाने की बात करते हैं, तो उन्हें इसका कारण बताना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों से 2017 से अब तक की बैलेंस शीट भी मांगी है। साथ ही, फीस से संबंधित नया खाता खोलने की भी सलाह दी है, ताकि मॉनिटरिंग करना आसान हो सके।
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जिला समिति की अनुमति के बाद बढ़ा सकेंगे फीस
जारी दिशा निर्देश के अनुसार, निजी शिक्षण संस्थानों में नए सत्र में स्कूल का प्रस्तावित फीस स्ट्रक्चर नए सत्र से 90 दिन पहले अपलोड करना भी लाजमी होगा। वहीं, अगर निजी स्कूल पिछले शैक्षणिक सत्र की तुलना में नए सत्र में 10 से 15 फीसद की फीस बढ़ाना चाहता है, तो उसे पहले इसकी सूचना जिला समिति को भेजनी होगी। जिस पर जिला समिति 45 दिन में निर्णय लेगी। जिला समिति निजी स्कूलों से फीस बढ़ाने के कारण पूछने के लिए स्वतंत्र है।वो फीस बढ़ोतरी पर स्कूल प्रबंधन और पालक संगठन का पक्ष भी ले सकेगी। अगर निजी स्कूल इसके अलावा किसी अन्य तरह के मत की वसूली करती है, तो उसके खिलाफ कारर्वाई का भी प्रावधान है। जिला कमेटी संबंधित फीस को पालकों को वापस दिलवाने का भी अधिकार रखती है।
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निजी स्कूलों पर होगा नियंत्रण
गाइडलाइन जारी करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा कि, प्रबंधन अपने स्कूल के छात्र और पलकों को स्कूल यूनिफार्म के साथ कॉपी, पुस्तकें उनके द्वारा चयनित विक्रेताओं से खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। अगर निजी स्कूल यूनिफार्म बदलते हैं, तो बदला हुआ नया यूनिफार्म अगले 3 सत्र के लिए मान्य किया जाएगा। निजी स्कूलों पर नियंत्रण रखने के लिए विभाग द्वारा निर्देश जारी किये गए हैं। साथ ही, कोई भी निजी स्कूल यूनिफार्म को छोड़कर किसी भी पाठ्यक्रम सामग्री पर स्कूल का नाम दर्ज नहीं करा सकेगा। वहीं, गाइडलाइन के अनुसार, छात्रों को परिवहन सुविधा देने के लिए ली जाने वाली फीस का जिक्र भी प्रस्तावित फीस स्ट्रक्चर में दिखाना अनिवार्य होगा। अगर कोई अभिभावक निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी से संबंधित कोई शिकायत करता है, तो जिला समिति ही उसकी जांच करेगी।
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