चुनाव लड़ने का एलान करने के बाद नेहा किन्नर ने कहा- समाज में गैर बराबरी बहुत है गरीबों की कोई नहीं सुनता है हम इनके लिए काम करेंगे। बता दें कि प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के चयन से असंतुष्ट युवाओं ने नेहा को 2018 में अप्रत्याशित तरीके से चुनाव लड़ने के लिए राजी कर लिया था। उन्हें छारी समुदाय से होने का लाभ मिला था और अन्य दलों से नाराज लोगों का समर्थन मतदान के परिणामों ने भी सभी को चौंका दिया था।
नेहा किन्नर को 2018 में 23.85 फीसदी वोट मिले थे। वो दूसरे स्थान पर थीं। यहां से जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के कमलेश जाटव को 29.89 फीसदी वोट मिले थे। कमलेश जाटव को 37343 वोट मिले थे जबकि नेहा किन्नर को 29796 वोट मिले थे। यहां भाजपा तीसरे नंबर पर थी और बसपा उम्मीदवार चौथे स्थान पर थे।
शहडोल की जयसिंह नगर विधानसभा सीट से शालू मौसी ने निर्दलीय चुनाव मैदान मैदान में थीं। शालू मौसी को 1,824 वोट मिले थे। होशंगाबाद विधानसभा सीट से हिंदू महासभा से पंछी देशमुख मैदान में उतरी थी। वो किन्नरों के लिए आरक्षण और नौकरी जैसे मुद्दे को लेकर वोट मांग रही थीं। उन्हें 441 वोट मिले थे। दमोह विधानसभा सीट से रिहाना सब्बो बुआ ने निर्दलीय चुनाव लड़ीं थीं। उन्हें 1,283 वोट मिले थे। इंदौर जिले की विधानसभा सीट इंदौर-2 से बाला वैशवारा निर्दलीय उम्मीदवार थीं। उन्हें 1,067 मिले थे।
शहडोल जिले के सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1998 में हुए उपचुनाव में किन्नर शबनम मौसी ने पहली बार चुनाव जीता था। ये देश के इतिहास में पहला मौका था जब किन्रर समुदाय से कोई विधायक बना था।