एस्सेल इंफ्रा के पूर्व प्रोजेक्ट डायरेक्टर रणंजय सिंह का कहना है कि नगर निगम एस्सेल इंफ्रा को 1710 रुपए प्रति टन कचरे के हिसाब से मासिक भुगतान करता रहा है। कचरा आदमपुर खंती में तौला जाता था, जिसका बिल अपर आयुक्त पास करते थे। भुगतान के बदले कमीशनबाजी हुई और बिजली उत्पादन में रुचि नहीं ली। 10 करोड़ खर्च करने के बावजूद काम बंद करना पड़ा।
शहर से रोजाना उठ रहा सिर्फ 30त्न कचरा
एस्सेल इंफ्रा दो साल से कचरा कलेक्शन करवा रही थी। शहर से प्रतिदिन निकलने वाले 850 टन कचरे में से 40 प्रतिशत कलेक्शन कंपनी कराती थी, जबकि बीएमसी 30 प्रतिशत तक। नगर निगम परिषद की बैठक में पेश आंकड़ों के मुताबिक शहर में 30 प्रतिशत कचरा छूट जाता था। एस्सेल कंपनी के काम बंद कर देने से कचरा कलेक्शन दर घटकर 30 प्रतिशत पर आ गई है।
मयंक वर्मा, अपर आयुक्त, निगम
तकनीकी पहलुओं का परीक्षण कराया जा रहा है। पीपीए को मंजूरी देने की प्रक्रिया विद्युत नियामक आयोग में चल रही है।
बी. विजय दत्ता, निगमायुक्त
नारायण राव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एस्सेल इंफ्रा कंपनी