इस दरमियान भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, रीवा जैसे महानगरों से लेकर छोटे जिलों और कस्बों की जनता को नवरात्रि, दशहरा और दिवाली भी जर्जर सड़कों की धूल फांकते हुए मनानी पड़ी लेकिन जैसे विभाग के मंत्री और अफसरों को तो जैसे कोई लेना-देना नहीं। हालत यह है कि मंत्री गोपाल भार्गव इस मामले में कभी जनता की सुध लेने उनके बीच नहीं गए। इसके उलट उन्होंने बयान जारी कर दिया कि मरम्मत और निर्माण के लिए चाही गई राशि मिल गई तो भी सड़कों की स्थिति सुधार में 6 से 9 महीने लग जाएंगे।
राजधानी में पीडब्ल्यूडी के मुख्यालय निर्माण भवन में प्रदेश की जर्जर सड़कों का कामकाज अभी भी कागजों में ही चल रहा है। आला अफसरों का दावा है कि अभी सड़कों के सर्वे यानी मौके पर क्या स्थिति है, इसका काम चल रहा है। कुछ भी कर लिया जाए तो भी ढाई से तीन महीने तो डीपीआर बनाने में ही लग जाएंगे। विभाग को इस काम के लिए करीब 5000 करोड़ रुपए की दरकार है।
07 नवंबर 2022 सोमवार को गडकरी ने मण्डला की सभा में कहा, ‘बरेला से मण्डला तक 400 करोड़ रुपए की लागत से 63 किलोमीटर का टू लेन रोड बन रहा है, इससे मैं संतुष्ट नहीं हूं। अधिकारियों से कहा है कि सड़क का जितना काम बाकी है, उसे सस्पेंड कर दो। पुराने काम को रिपेयर करो। नया टेंडर निकालो। जल्दी ये रोड अच्छा और पूरा करके दो। अभी तक आपको जो तकलीफ हुई है, इसके लिए मैं क्षमा मांगता हूं।’
( बता दें कि मण्डला से जबलपुर राजमार्ग पर 63 किलोमीटर बरेला से मण्डला तक के खण्ड को बनाने में 400 करोड़ रुपए लग गए, लेकिन सड़क बनाने में इतनी अनियमितता हुई कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को माफी मांगनी पड़ गई। उन्होंने परियोजना के लिए नया अनुबंध बनाने का आदेश जारी किया।)
25 अक्टूबर 2022 मंगलवार शिवराज ने कहा कि मैं मंगलवार रात को भोपाल की सड़कों पर निकला था। हमीदिया रोड से शाहजहांनाबाद होते हुए आया। सड़कों की इतनी दुर्गति होगी मुझे कल्पना नहीं थी। यह रोड किसके पास है? जब अधिकारी कोई जवाब नहीं दे सके तो सीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश की राजधानी के यह हालात हैं, तो बाकी जगह की क्या स्थिति होगी? मुझे सड़कों की हालत देखकर बहुत बुरा लगा। उन्होंने अधिकारियों को प्रभावी तरीके से काम करने को कहा। साथ ही कहा कि 15 दिन बाद दोबारा सड़कों पर समीक्षा बैठक करेंगे।
(राजधानी समेत प्रदेशभर में सड़कों की बिगड़ी सेहत को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह खुद पीडब्ल्यूडी और भोपाल नगर निगम के आला अधिकारियों को 25 अक्टूबर की क्लास ले चुके हैं कि 15 दिनों के अंदर सड़कों की मरम्मत हो जाए। मुख्यमंत्री की मोहलत का भी अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। अभी भी ज्यादातर सड़कों पर जानलेवा गड्ढे जस के तस हैं। हैरानी की बात तो ये है कि जहां सड़कों की मरम्मत का कार्य हो भी रहा है वो स्तरहीन है। जैसे खानापूर्ति की जा रही हो।)
बयान-1
29 अक्टूबर 2022 शनिवार पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने बयान दिया कि प्रदेश में कई बार सड़कें खराब बन रही हैं। रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन इनका मेंटेनेंस करता है, लेकिन वो अधूरा ही रहता है। जैसे- पीडब्ल्यूडी की सड़क साथ में जुड़ी होती हैं। इनको चिह्नित नहीं कर पाते कि ये किसकी सड़क है। अगले एक महीने में प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त कर देंगे।
11 नवंबर 2022 शुक्रवार पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि राजधानी भोपाल की सड़कों की दशा सुधारने के लिए फिलहाल बजट नहीं है। जैसे ही हमारे लिए बजट आवंटन होगा, तो सड़कों की हालत सुधार दी जाएगी। प्रयास कर रहे हैं कि आठ महीने के अंदर यानी जून 2023 के लिए हम भोपाल को चमचमाती सड़कें देें।
(जनता हलाकान है लेकिन पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव को शर्म ही नहीं आ रही है। मंत्री भार्गव कभी कहते हैं कि बजट के अभाव में जून तक सही हो पाएंगी सड़कें तो कभी एक महीने में गड्ढा मुक्त करने का दावा। यानी मंत्री तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर कहना क्या है और करना क्या। विभाग के आला अधिकारी भी मंत्री की तर्ज पर कह रहे हैं कि बजट आएगा तब ही काम होगा। और जितनी देर से बजट आएगा उतनी देरी काम में लगेगी। इन सब के बीच सवाल यही बरकरार है कि खस्ताहाल सड़कों से जूझ रही जनता से क्या मंत्री गोपाल भार्गव माफी मागेंगे।)
प्रदेश में कुल सड़कों की लंबाई- 70956 किमी से अधिक
मानसून में इस साल हुईं जर्जर सड़कें- 3500 किमी
प्रदेश में मिट्टी में मिली सड़कें जिन्हें फिर है बनाना- 4000 किमी
मरम्मत के नाम पर पेंचवर्क हुआ- 98 प्रतिशत का दावा
डीपीआर बनाकर विभाग को चाहिए इतनी राशि- 5000 करोड़ रुपए
राष्ट्रीय राजमार्ग— 8853 किमी
राज्य राजमार्ग— 11389 किमी
मुख्य जिला मार्ग—23401 किमी
ग्रामीण व अन्य जिला मार्ग— 27313 किमी
कुल— 70956 प्रदेश में जिन जिलों में सबसे ज्यादा हुई बरसात
नर्मदापुरम
बैतूल
भोपाल
छिंदवाड़ा
हरदा
रीवा
सीधी
आलीराजपुर
सिंगरौली
निवाड़ी सर्वे चल रहा है, उसके बाद डीपीआर
मानसूनी बारिश सभी जगह एक जैसी नहीं थी… इसलिए सड़कें सभी जगह एक जैसी खराब नहीं हुई हैं। सुधार के लिए हम कोशिश कर रहे हैं… पेचवर्क का काम 98 प्रतिशत पूरा हो गया है। सिर्फ 02 प्रतिशत ही बाकी है। हालांकि 4000 हजार किमी की सड़कें ऐसी हैं, जिनको फिर से बनाने की जरूरत है। इनका सर्वे चल रहा है। इसके आधार पर डीपीआर बनाई जाएगी। औसत मरम्मत और निर्माण पर करीब 5000 करोड़ रुपए खर्च आएगा।
– नरेंद्र कुमार, प्रमुख अभियंता, निर्माण भवन, लोक निर्माण विभाग