आयकर विभाग खंगाल रहा जमीनों के रिकॉर्ड
आयकर विभाग की ओर से बेनामी संपत्ति को लेकर संव्यवहार प्रतिषेध अधिनियम 1988 की धारा-21 के तहत जानकारी मांगी थी। सूत्रों का कहना है कि यह जानकारी सागर जिला प्रशासन से आयकर विभाग तक पहुंची थी। राजस्व निरीक्षकों की ओर से गिरहनी, निवारी और कुदरू की जमीनों का रिपोर्ट बनाकर आयकर विभाग को सौंप दी गई है।
एक पते पर अलग नामों से है संपत्ति
हिमांचल सिंह राजपूत खुरई के गिरहनी गांव में रहते हैं। खसरा नं. 1322/2, 1323/2 और 1327/2 की जमीन हिमांचल के नाम पर है। खसरा नं 1322/2 की जमीन गोविंद सिंह राजपूत की पत्नी को 3 अगस्त 2022 को और 1323/2 की जमीन एक ही दिन बाज साल 2022 में दान में दे गई थी। बेटे आदित्य को 1327/2 की जमीन जुलाई 2022 में जान दी गई। जिसे शिकायत के बाद वापस कर दिया गया।
गोविंद सिंह बोले- मुझे इस बारे नहीं है कोई जानकारी
इस पूरे मामले पर गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। जमीन का ये काफी पुराना मामला। जमीन दान में दी गई थी और वापस कर दी गई थी। ये पूरी प्रक्रिया लीगल और रजिस्टर्ड तरीके से हुई थी। इसमें न मुझसे न मेरे परिवार वालों से आयकर विभाग ने कोई जानकारी नहीं ली है।
क्यों विवादों में है जमीन
बताया जाता है कि गोविंद सिंह राजपूत को ससुराल से जो जमीन दान में मिली है। वह उनकी पत्नी के भाई हिमाचल सिंह और करतार सिंह ने साल 2021 में कल्पना सिंघई से खरीदा था। जो कि सागर-भोपाल रोड पर भापेल गांव में स्थित है। इस जमीन की कीमत करोड़ों में है। ऐसे मंत्री पर सवाल खड़े हुए थे कि जब ससुराल भोपाल से 80 किमी दूर सागर जिले के गिरहनी गांव में है तो गांव या फिर आसपास की छोड़कर अच्छी-खासी दूरी पर ये जमीन क्यों खरीदी गई।