मप्र के खाते में कृषि और सामाजिक न्याय विभाग
बताते चलें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मप्र के खाते में कृषि और सामाजिक न्याय विभाग रहा है। तीसरे कार्यकाल में भी ये दोनों विभाग मप्र की झोली में ही आए हैं। कृषि मंत्रालय पूर्व में नरेंद्र सिंह तोमर के पास था। अब शिवराज सिंह को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की जिमेदारी दी गई है। वीरेन्द्र खटीक के पास सामाजिक न्याय यथावत है। वहीं गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को संचार मंत्रालय मिला है। इससे पहले उनके पास नागरिक उड्डयन विभाग की जिमेदारी थी।किसानों की मुश्किलों को ऐसे किया आसान
- शिवराज सरकार के दौर में मध्य प्रदेश में कृषि विकास दर दहाई में लगातार बनी रही।
- सिंचाई क्षमता 45 लाख हेक्टेयर हो गई।
- इसका लाभ उत्पादन में वृद्धि के रूप में किसानों को मिला।
- जब उपज की कीमतें बाजार में समर्थन मूल्य से कम थीं तो उन्होंने भावांतर जैसी योजना लागू की।
- इस योजना के तहत अंतर की राशि का भुगतान सरकार की ओर से किया गया।
- समर्थन मूल्य पर उपार्जन की गारंटी किसानों को दी।
- भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों में संशोधन करके आपदा की स्थिति में किसानों को होने वाली क्षतिपूर्ति में कई गुना तक बढ़ाया।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के साथ जैविक और प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना के लिए कदम उठाए।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की तर्ज पर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना लागू करके पहले 4 और फिर 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष देने की व्यवस्था लागू की।
- कृषि को उद्यानिकी और पशुपालन से जोड़कर किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रयास किए।
ग्रामीण विकास पर किया फोकस
बता दें कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने पंचायत राज संस्थाओं को मजबूत करने के साथ ही ग्रामीण विकास पर भी फोकस किया। इसी का नतीजा था कि उन्हें प्रधानमंत्री ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा है।