MP News: ये है एमपी का रहस्यमयी ‘जल महल’, रानी कमलापति ने यहीं ली थी जल समाधि
MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जल महल सुनकर आप चौंक गए होंगे, यहां हम बात कर रहे हैं रानी कमलापति महल की, जिसकी 3 मंजिलें आज भी पानी में डूबी रहती हैं…इस रहस्यमयी महल का ये रोचक किस्सा कर देगा हैरान
MP News: 300 साल पुराना रानी कमलापति (Rani Kamlapati) का रहस्यमयी महल (Mysterious Palace) देखने टूरिस्ट की भीड़ उमड़ती है। इसके रहस्य उन्हें हैरान कर देते हैं। अगर आप भी ऐतिहासिक जगहों पर घूमना, उनके बारे में जानना पसंद करते हैं, तो इस महल को एक बार जरूर देखें।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कमला पार्क के पास बना रहस्यमयी कमलापति महल हमेशा पानी में डूबा रहता है। इसीलिए इसे जल महल कहना गलत नहीं होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं रानी कमलापति ने अपने हाथों से महल को जलमग्न कर लिया था और उसी में समाधि ले ली थी।
जहां ली थी समाधि आज वहां लगी है आदमकद प्रतिमा
रहस्यमयी कमलापति महल में जहां रानी कमलापति ने जल समाधि ली थी, आज वहां भोपाल की वीरांगना गोंड रानी कमलापति की आदमकद प्रतिमा लगी है। मुगलकालीन वास्तुकला का खूबसूरत नमूना माना जाने वाला रानी कमलापति का ये महल अपने आप में खास है। छोटे तालाब के किनारे बने इस महल की तीन मंजिलें अभी भी पानी में डूबी हुई हैं। ये महल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की भोपाल जिले में स्थित एकमात्र नान लिविंग साइट है। इसका निर्माण लखौरी ईंटों से किया गया है।
टूरिस्ट का है अट्रैक्शन
7 मंजिला इस महल की 3 मंजिलें पानी के अंदर डूबी हुई हैं। जबकि एक समय था जब इसकी पांच मंजिलें पूरी तरह पानी में डूबी रहती थीं। लेकिन अब छोटे तालाब का जल स्तर कम होने के कारण इस महल से पानी भी उतरता जा रहा है। इस महल के रहस्यमयी किस्सों को सुनने और इसकी खूबसूरती निहारने यहां टूरिस्ट कि भीड़ उमड़ती है। बता दें कि 1989 में कमलापति महल को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (ASI) को सौंप दिया गया था।
रानी ने खुद करवाया था महल का निर्माण
रानी कमलापति महल (Rani Kamlapati Palace) का निर्माण लगभग 300 साल पहले हुआ था। इतिहास के जानकारों के मुताबिक निजाम शाह की पत्नी रानी कमलापति ने इस महल का निर्माण करवाया था। इसलिए इसका नाम कमलापति महल रखा गया था। आज इस महल को भोजपाल का महल और जहाज महल के नाम से भी जाना जाता है। वहीं जल में डूबे रहने के कारण इसे जल महल भी कहा जाता है। बता दें कि रात में चांद की रोशनी में इस महल की परछाई बिल्कुल पानी के जहाज जैसी लगती है।
लखौरी ईंटों से किया गया है निर्माण
इस महल को खास लखौरी ईंटों से बनाया गया था, जिसे लाहौर शहर से मंगवाया गया था। ये ईंटें बहुत मजबूत होती हैं, ताकि महल को मजबूत बनाया जा सके। महल के सामने की ओर छज्जे बनाए गए हैं। महल के निचले हिस्से को भारी पत्थरों के आधार पर बनाया गया था। इससे महल कभी भी झील या छोटे तालाब में ना धंस सके।
इसलिए डूबा था महल
इतिहास के जानकार बताते हैं कि राजा निजाम शाह का दोस्त मोहम्मद खान रानी कमलापति पर बुरी नजर रखता था और उन्हें अपनी रानी बनाने के सपने देखा करता था। इसके चलते रानी के बेटे और दोस्त मोहम्मद खान के बीच युद्ध भी हुआ। युद्ध में रानी के बेटे नवल शाह की मृत्यु हो गई।
बेटे की मौत की खबर मिलते ही रानी ने महल की तरफ बांध का संकरा रास्ता खुलवा दिया, जिससे तालाब का पानी महल में समाने लगा। रानी ने निजाम शाह से खुद को बचाने के लिए ऐसा किया था। देखते ही देखते पूरे महल में पानी भर गया और इसकी मंजिलें डूबने लगीं। रानी कमलापति ने इसी पानी में समाधि ले ली।