ऐसे होता था ‘खेल’
इस पूरे खेल को समझने के लिए आपको रायसेन जिले के 57 वर्षीय ह्रदय रोगी का मामला जानना होगा। इस मरीज को हमीदिया अस्पताल रैफर किया गया। रास्ते में ही एंबुलेंस के चालक और सहायक ने परिजनों से आयुष्मान कार्ड की पूछताछ की। पता चला कि मरीज आयुष्मान कार्ड धारक है तो असल खेल शुरू हुआ। उन्होंने परिजनों से हमीदिया अस्पताल और एम्स भोपाल की बुराई शुरू कर दी। यह तक कह दिया कि यहां भर्ती कराया तो मरीज की मौत हो जाएगी। मरीज की जान बचाना है तो निजी अस्पताल में भर्ती करा दो। जहां आयुष्मान से मुफ्त इलाज मिलेगा। ऐसे हुआ खुलासा
इस पूरे खेल का खुलासा तब हुआ जब हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनीत टंडन मंगलवार को इमरजेंसी विभाग का दौरा कर रहे थे। उन्होंने देखा कि मरीज गायब हैं और एंबुलेंस का सहायक कर्मचारी मरीज का पेपर वर्क करा रहा है। जब पूछताछ शुरू की गई तो उसके दो अन्य साथी भी पकड़ में आए जो सरकारी अस्पताल से आयुष्मान कार्ड धारी मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाते थे। इधर जब हमीदिया अस्पताल में दलालों के पकड़ाने की बात फैली तो निजी अस्पताल सतर्क हो गए और हरदा से मल्टीपल फ्रेक्चर के इलाज के लिए हमीदिया आए दिनेश को निजी अस्पताल से वापस हमीदिया भेज दिया। दिनेश को भी दलाल निजी अस्पताल ले गए थे।
एंबुलेंस 108 के कर्मचारी भी खेल में शामिल
108 एंबुलेंस से मरीज को निजी अस्पताल सीधे छोड़ने पर मरीज को प्रति किमी के हिसाब शुल्क देना पड़ता है। यही नहीं कंपनी से इसके लिए एप्रूवल लेना पड़ता है। इससे बचने के लिए 108 स्टाफ मरीज को पहले हमीदिया अस्पताल ले जाते, यहां अस्पताल में मरीज का रजिस्ट्रेशन कराते। वहीं मरीज को अस्पताल में ही निजी अस्पताल की एंबुलेंस में शिफ्ट करा देते। इसकी जानकारी अस्पताल से 108 के अधिकारियों को दी गई। 108 के सीनियर मेनेजर तरुण सिंह परिहार ने कहा कि इस तरह के काम को रोकने के लिए नियम कड़े किए जा रहे हैं। अब अस्पताल प्रबंधन के साथ मिलकर बिना मरीज के कोई पेपर वर्क ना करने के निर्देश जारी किए गए हैं।