भोपाल। ‘हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं’। इस महान पंक्ति को चरितार्थ किया मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के शूटर फैसल खान ने। ये दिव्यांग शूटर अपने जैसे लोगों के लिए एक मिशाल है। शारीरिक कमजोरी के बावजूद फैसल ने कभी हार नहीं मानी और शूटिंग जैसे खेल में अपने सटीक निशाने से कई पदक अपने नाम किए। आइए जानते हैं इस होनहार खिलाड़ी की और भी कई दिलचस्प बातें….
दादा से सीखा सटीक निशाना
फैसल ने सटीक निशाना लगाना 7 साल की उम्र में ही आर्मी मैन दादा से सीख लिया था। जब दादा शिकार पर जाते तो फैसल भी उनसे बन्दूक लेने की जिद करते। दादा ने फैसल की प्रतिभा को पहचान और घर के आंगन में ही टारगेट बनाकर निशाना लगा सिखा दिया। धीरे-धीरे फैसल इस खेल में माहिर हो गए। फिर 2007 में पिता ने उन्हें मप्र राज्य शूटिंग अकादमी में दाखिला दिला दिया। फिर मिल गई फैसल को अपनी राह। यहां उन्होंने कोच के मार्गदर्शन में शूटिंग की बारीकियां सीखी।
पहले ही चैंपियनशिप में लगाया स्वार्णिम निशाना
प्रतिभा, जोश और जज्बे से भरपूर फैसल को 2008 में इंदौर में हुई हैंडीकैप स्टेट लेवल राइफल शूटिंग चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला। इसमे फैसल ने 2 गोल्ड जीतकर इरादे जाहिर कर दिए इसके बाद उन्होंने 7 स्टेट चैंपियनशिप में लगातार 15 बार स्वर्ण पदक अपनी झोली में दाल लिए।
6 नेशनल में जीते 12 पदक
फैसल इतने में ही नहीं रुके और 2011 में उन्हें दिल्ली में आयोजित की गई नेशनल चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला, जिसमें फैसल ने रजत पदक हासिल किया। इसके बाद 39 वर्षीय इस खिलाडी ने 6 नेशनल चैंपियनशिप में 3 गोल्ड, 4 रजत और 5 कांस्य पदक हासिल किया है।
70 साल के पिता के साथ जाते हैं ट्रेनिंग के लिए
फैसल के घर में एक मां और पिता हैं। पिता एक मैकेनिक की शॉप चलाते हैं। वह चल नहीं सकते इसलिए उनके 70 साल के पिता ऑटो से अकादमी में अभ्यास के लिए साथ लेकर आते हैं। उनकी चाहत हैं कि एक सरकारी नौकरी मिल जाए, जिससे वह अपनी लाइफ सुरक्षित कर सकें।
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