हाईकोर्ट में एक कर्मचारी ने याचिका दायर कर बताया कि उन्हें मध्यप्रदेश शासन की पॉलिसी में निर्धारित वेतन की बजाए कम सेलरी दी जा रही है।पॉलिसी के अनुसार वे माध्यमिक शाला शिक्षक के बराबर वेतन के पात्र हैं लेकिन उन्हें प्राथमिक शिक्षक के बराबर ही वेतन दिया जा रहा है। कोर्ट ने कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार से नियमों के अनुसार अभ्यावेदन पर फाइनल डिसीजन करने का आदेश दिया।
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने मोबाइल स्रोत सलाहकार दीपचंद्र बिरनवार की याचिका पर मध्यप्रदेश शासन को यह निर्देश दिए हैं। खास बात यह है कि कोर्ट ने मामले के गुण या दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की। हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह अपने द्वारा बनाई गई पॉलिसी के अनुसार ही अभ्यावेदन पर फाइनल डिसीजन ले। कोर्ट ने लंबित अभिव्यावेदन पर 3 महीने में निर्णय लेने को कहा है।
दीपचंद्र बिरनवार का दावा है कि उन्हें मिडिल स्कूल टीचर के बराबर सेलरी मिलनी चाहिए जबकि प्राथमिक शिक्षक के बराबर ही वेतन दिया जा रहा है। वे मोबाइल रिसोर्स कोऑर्डिनेटर के पद पर काम कर रहे हैं। वेतन निर्धारण से संबंधित उनका अभ्यावेदन लंबित है।
कोर्ट में दाखिल याचिका में दीपचंद्र बिरनवार ने बताया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएट+ बीएड B.ed है। मध्यप्रदेश सरकार की पॉलिसी के अनुसार उन्हें माध्यमिक शाला के शिक्षक के बराबर वेतन मिलना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उन्हें प्राथमिक शिक्षक के बराबर ही वेतन दिया जा रहा है। इस पर न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने अहम फैसला सुनाते हुए सरकार को दीपचंद्र बिरनवार के अभ्यावेदन पर 3 महीने में निर्णय लेकर कोर्ट को अवगत कराने को कहा है।