सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर शहर जिला अध्यक्ष को लेकर तो दिल्ली से फोन आने का भी भय है, क्योंकि बीते दिनों एक मंडल अध्यक्ष का नाम दिल्ली के फोन के बाद बदलना पड़ा था। सूत्रों के मुताबिक दिग्गजों की लड़ाई में उन 45 जिलों के प्रस्तावित अध्यक्षों के नाम भी फंसे हुए हैं, जहां लगभग सहमति बन गई है। यदि देरी होती है तो फिर मामला बिगड़ सकता है। केंद्रीय नेतृत्व ने पांच जनवरी की डेडलाइन तय की थी। अब सोमवार रात तक सूची आ सकती है, लेकिन विवाद वाले जिले व कुछ महानगर छूट सकते हैं।
कहां कैसी स्थिति
ग्वालियर: सूत्रों के मुताबिक विस अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर गुट से रामेश्वर भदौरिया, केंद्रीय मंत्री सिंधिया गुट से शैलेंद्र बरुआ, विवेक शेजवलकर गुट से जयप्रकाश राजौरिया और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा गुट से एक अन्य नाम की चर्चा है।
भोपाल: प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा गुट से रविंद्र यती, तीन विधायकों की ओर से जगदीश यादव, शिवराज गुट से किशन सूर्यवंशी व वंदना जाचक और एक अन्य नाम की चर्चा है।
इंदौर: खबर है कि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय गुट से टीनू जैन, पूर्व विधायक रमेश मेंदोला गुट से सुमित मिश्रा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद गुट से सविता अखंडे, दिलीप शर्मा व एक अन्य सावंत सोनकर का नाम बताया जा रहा है।
जबलपुर: यहां संगठन व उमा भारती, मंत्री प्रहलाद पटेल गुट से शरद अग्रवाल, संगठन की ओर से राजेश मिश्रा, रिंकू बिज और मंत्री राकेश सिंह गुट से संदीप जैन, एक अन्य नाम है।
संगठन की दो टूक दोबारा नहीं मिलेगी जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी
संगठन ने एक लाइन में कह दिया है कि जिन जिला अध्यक्षों को पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है, उन्हें दोबारा जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। तब भी सूत्रों के मुताबिक सागर से गौरव सिरोठिया, इंदौर से गौरव, देवास से राजू खंडेलवाल, भोपाल से सुमित पचौरी जैसे 12 जिला अध्यक्ष मैदान छोडऩे को तैयार नहीं हैं।
चर्चा तो यह भी है
1.संघ नाराज: सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सुझाए गए नामों को भी दिग्गज नेताओं की आपसी खींचतान के चलते नजरअंदाज किया जा रहा है। इसकी वजह से संघ नाराज चल रहा है। 2. इसलिए भी नहीं चाहते: चर्चा है कि कुछ वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रहते उनके प्रभाव वाले जिलों के अध्यक्षों की सूची जारी न हो, ताकि नए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मर्जी का अध्यक्ष बनवा सकें।
3. एक नेता नहीं मान रहे: बताया जा रहा है कि सागर में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव आपस में एक नाम पर सहमत हैं, लेकिन मौजूदा मंत्री मानने को तैयार नहीं हैं। इसी बीच यहां से जिला अध्यक्ष की दौड़ में शामिल एक भाजपा नेता के घर आयकर का छापा पड़ने की भी खबर है।