मामले में पत्नी ने अपने पति के परिवार पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था। इससे परेशान होकर वह मायके चली गई। इस पर MP High Court ने कहा कि दहेज की मांग करते हुए पत्नी को मायके में रहने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पत्नी की चुप्पी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वैवाहिक जीवन बचाने के लिए चुप रहना नेक कार्य है।
शहडोल के नीरज सराफ, पंकज सराफ और उसकी पत्नी सीमा सराफ ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें रीवा महिला थाने में उनके खिलाफ दहेज प्रकरण में दर्ज एफआईआर को खारिज किए जाने की मांग की गई थी। आरोपियों का दावा था कि उनके छोटे भाई सत्येंद्र की पत्नी शिल्पा ने शादी के साढ़े चार साल बाद दहेज प्रताड़ना की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
एकलपीठ ने शिल्पा की शिकायत सही पाई। शिल्पा ने स्पष्ट आरोप लगाए कि शादी के चार महीने बाद से ही पति और उसके परिजन 20 तोला सोना तथा फॉर्च्युनर कार के लिए उसके साथ मारपीट करने लगे थे। मांग पूरी नहीं होने पर ससुराल से निकाल दिया तो वह माता-पिता के पास मायके आकर रहने लगी।
यह भी पढ़ें : Ladli Behna Yojana : लाड़ली बहनों को मिलेंगे 3 हजार रुपए, पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान का बड़ा ऐलान सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तलाक का नोटिस मिलने के बाद शिल्पा को लगा कि अब समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए उसने पुलिस में दहेज प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज करवाई। कोर्ट ने यह भी कहा कि दांपत्य जीवन को बचाने के लिए चुप रहना अच्छा है। इसे तलाक का नोटिस मिलने के बाद की प्रतिक्रिया नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने दहेज की मांग करते हुए पत्नी को मायके में रहने के लिए मजबूर करने को मानसिक क्रूरता बताया है। इसी के साथ कोर्ट ने एफआईआर को खारिज करने की मांग नामंजूर कर दी।
जबलपुर हाईकोर्ट MP High Court के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने अपने आदेश में अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि शादीशुदा जिंदगी बचाने के लिए पत्नी का चुप रहना नेक काम है। इसे पति द्वारा तलाक के लिए दायर आवेदन की प्रतिक्रिया नहीं माना जा सकता।