असल में कर्मचारियों को लंबे समय से तबादला नीति का इंतजार है तो ज्यादातर मंत्री भी चाहते हैं कि उन्हें तबादले करने के अवसर मिले। सूत्रों के मुताबिक इस तरह कर्मचारियों और मंत्रियों की ओर से अप्रत्यक्ष मांग उठ रही है। इस बीच मुख्य सचिव इस नीति का परीक्षण करने वाले हैं।
भाजपा के सदस्यता अभियान को भी तबादलों में रोक की वजह मानी जा रही है। वहीं कर्मचारी व मंत्री इन सभी बातों से वाकिफ हैं, लेकिन तब भी तबादला नीति के प्रबल पक्षधर बताए जा रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी सामने आ रही है कि राज्य मंत्रियों के हाथ खाली है।
तो मंत्रियों को मिलेगा काम
उन्हें दो मुख्य काम दिए हैं, एक तो विधानसभा के प्रश्नों के जवाब देना और दूसरा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले व उनसे जुड़े मामलों का निपटारा करना। फिलहाल कर्मचारी वर्गों में एक प्रभावी तबादलों से जुड़ा सामने आ रहा है, यदि नीति सामने आती है तो इन राज्य मंत्रियों के हाथों को काम मिलना तय है।
दूसरे पक्ष पर भी विचार
वैसे सत्र आधा से अधिक निकल चुका है, ऐसे में सरकार दूसरे पक्ष पर भी विचार कर रही है कि क्यों न 4-6 माह रुककर तबादला नीति को हरी झंडी दी जाए। ताकि कर्मचारियों को भी अपनी बात रखने के पर्याप्त अवसर मिले और सरकार के भी काम प्रभावित न हो।