कोलार प्रोजेक्ट की सुस्त रफ्तार
कोलार का ग्रामीण क्षेत्र, कटारा हिल्स के आगे का क्षेत्र, रातीबड़ की नई बसाहट और बैरागढ़ तक इलाके हुजूर में शामिल हैं। लेकिन बड़ी समस्या कोलार सिक्सलेन प्रोजेक्ट सुस्त रफ्तार से है। पूरा इलाका धूल से सना है। घरों को साफ रखना मुश्किल है। गाडिय़ों का मेंटनेंस बढ़ गया। बारिश में कीचड़ में चलना मुश्किल था। अभी सडक़ का महज 40 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है।
सांसों में घुल रही धूल
चूना भट्टी, बीमाकुुज, मंदाकिनी, महाबली नगर, बंजारी रोड, डी-मार्ट, कजलीखेड़ा, मटर टेरेसा रोड से लेकर गोल जोड़ नाका तक दोनों ओर की कॉलोनियों के लोग धूल से परेशान हैं। करीब 2 लाख की आबादी में से 27 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण के शिकार हैं। धूल से अस्थमा और आंखों की बीमारियां हो रही हैं। यहां की हरियाली गायब है। पीपल, बड़, नीम और जामुन के पेड़ काट डाले गए हैं।
जंगल व तालाब पर संकट
चंदनपुरा क्षेत्र के बाघ भ्रमण क्षेत्र में बेतरतीब निर्माण और वन कटाई जारी है। कॉक्रीट के जंगल खड़े रहे हैं। कलियासोत डैम के कैचमेंट में प्राइवेट बिल्डर अवैध निर्माण कर रहे हैं। हरियाली तेजी से गायब हो रही है। जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। ऐसे में रहवासियों पर बहुत असर हो रहा है। शिकायत के बाद भी यहां कोई सुनने वाला नहीं है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
बिना एप्रूवल हो रहे निर्माण
रातीबड़, नीलबड़ और कलखेड़ा में बेतरतीब कॉलोनियां फैल रही हैं। कलखेड़ा प्रोजेक्ट बिना टीएनसीपी एपू्रवल के चल रहा। नीलबड़ में नगर निगम ने तमाम दुकानें बगैर भूमि आवंटन, टीएंडसीपी एप्रूबल और बिना रेरा पंजीयन के बेच दी। कलखेड़ा नीलबड़, रातीबड़ में पेयजल की समस्या है।
बैरागढ़ में भी राहत नहीं
बैरागढ़ यानी संत हिरदाराम नगर बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र है। यहां कैचमेंट और भोज वेटलैंड के हिस्सा में अतिक्रमण है। मुख्य मार्ग पर बाजार पसरा है। संत हिरदाराम स्टेशन का विकास अधूरा है।