सीएम ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस और कमलनाथ गरीब विरोधी, बहन विरोधी, आदिवासी विरोधी हैं। प्रियंका गांधी और कमलनाथ सुन लीजिए हम आदिवासी भाई-बहनों को सम्मान देंगे और सामान भी देंगे। कांग्रेस ने कभी आदिवासियों को सम्मान नहीं दिया। कांग्रेस ने कभी आदिवासी जननायकों के स्मारक नहीं बनवाए। शिवराज ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सिर्फ एक खानदान के स्मारक बनवाए, मूर्तियां लगवाई। कांग्रेस ने सरकार में आते ही बैगा सहरिया भारिया बहनों के पैसे बंद कर दिए। कांग्रेस और कमलनाथ ने संबल योजना बंद कर दी। कांग्रेस और कमलनाथ ने आदिवासियों को जूते चप्पल देना बंद कर दिए जो भाजपा सरकार देती थी। चलती हुई योजना बंद नहीं की जा सकती।
शिवराज ने कहा कि मुझे आशंका थी कि कांग्रेस बहनों के पैसे बंद करेगी। इन्होंने तो अब योजना बंद करने की भी तैयारी कर ली है। ट्वीट किए जा रहे हैं मामा चुपके से पैसा डालेगा। हां, मैं पैसा डालूंगा। ऑनगोइंग स्कीम है। कोई चलती हुई योजना बंद नहीं की जा सकती। पैसे डालेंगे, आपको तकलीफ क्यों हो रही है। यह बात सही है कि चुनाव में कोई कार्यक्रम करके नहीं डाले जा सकते, लेकिन लाडली बहना के खाते में पैसे डलेंगे तो तुम्हें तकलीफ हो रही है। तुमने कभी बहनों के लिए कुछ किया नहीं। ‘
खेल रहे चोरी-चोरी, चुपके-चुपके’ का खेल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रदेश में लोकतंत्र का महायज्ञ शुरू हो चुका है और अब सबको जनता की कसौटी पर खरा उतरना है, लेकिन जनता के बीच जाने के बजाय आप (सीएम शिवराज) ‘चोरी-चोरी, चुपके-चुपके’ का खेल खेल रहे हैं। मैंने आपके अभिनय की हमेशा तारीफ की है, लेकिन ओवर एक्टिंग को जनता पसंद नहीं करती। जिन योजनाओं को आपने कभी चालू ही नहीं किया, उन्हें बंद करने की क्या बात करना। कमलनाथ ने ट्वीट कर दावा किया कि डेढ़ माह बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी जो महिलाओं, बच्चों, सरकारी कर्मचारियों, किसानों के लिए नई योजनाएं लागू करेगी। उन्हें इनका लाभ मिलेगा। यह सब काम हर्षोल्लास से हो सकें, इसलिए आपकी पार्टी ने आपको हाशिये पर डाल दिया है और मध्य प्रदेश की जनता भी आपको विपक्ष में बैठाकर कांग्रेस सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों को देखने का पूरा मौका देने वाली है।
हार देख हताश और निराश हैं शिवराज
कांग्रेस कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह सपरा ने शनिवार को कहा कि सीएम शिवराज हार सामने देख हताश, निराश हैं। राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए मर्यादाओं को ताक पर रख बयानबाजी कर रहे हैं। गांधी परिवार पर टिप्पणी तो उन्होंने की हैं, लेकिन वह भूल गए कि गांधी परिवार वह परिवार है जो ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ के सिद्वांतों पर अडिग रहकर देश की सेवा करने में अपने प्राणों की आहूती देने में तत्पर रहता है।