पहली बार एमपीपीसीबी ने मानव कल्याण के लिए की पहल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार यह पहला अवसर है जहां एमपीपीसीबी ने इस तरह की पहल की है। जिसमें संस्था ने मानव कल्याण पर पर्यावरण में मौजूद प्रदूषक का दीर्घकालिक प्रभाव पर साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए एक चिकित्सा संस्थान के साथ हाथ मिलाया है।
प्रदूषक का स्वास्थ्य पर असर विषय पर नए कोर्स की संभावना इस अवसर पर बोलते हुए एम्स भोपाल के निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में आवश्यक विशेषज्ञता देने में सहयोग देने का वादा किया। साथ ही इस विषय पर नए कोर्स शुरू करने की संभावना भी जताई।
एमपीपीसीबी की प्रयोगशाला का उपयोग करेंगे एम्स के शोधकर्ता एमपीपीसीबी के सदस्य सचिव चंद्र मोहन ठाकुर के अनुसार एम्स के शोधकर्ता पीसीबी की प्रयोगशाला का इस्तेमाल कर सकेंगे। साथ ही उन्होंने शोध के जरिए साक्ष्य के साथ लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए नई जानकारी खोजने में हर जरूरी मदद देने की बात भी कही।
शुरूआत पायलट अध्ययन से इसकी शुरुआत में एम्स के शोधकर्ता सिंगरौली की आबादी पर वायुजनित (एयर बार्न) फ्लाई ऐश कणों के स्वास्थ्य प्रभावों पर एक क्षेत्र-आधारित पायलट अध्ययन करेंगे। यह जिला देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले जिलों में से एक है।