कथा के तीसरे दिन उन्होंने ध्रुव चरित्र सहित अन्य प्रसंगों की व्याख्या की। सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिए, जाहि विधि राखी राम भजन के साथ उन्होंने कथा की शुरुआत की। कथा के साथ-साथ संगीतमय भजनों पर मौजूद श्रोताओं ने जमकर भक्ति नृत्य किया।
लोगों से उम्मीद कम, भगवान से ज्यादा लगाओ
जया किशोरी ने कहा कि हम लोग सबसे ज्यादा उम्मीद लोगों से लगाते हैं, जिंदगी से लगाते हैं। जबकि संत कहते हैं कि दुनिया से उम्मीदें लगाकर कोई फायदा नहीं होने वाला, क्योंकि जब उम्मीदे पूरी नहीं होती तो दुख होता है। इसलिए लोगों से उम्मीद कम और भगवान से अधिक लगाओ।
शिक्षा वह है जो आपको सरल बनाए
कथावाचक ने कहा कि चाहे आपके पास जितना भी ज्ञान हो, लेकिन आप सरल नहीं है, तो वह ज्ञान किसी काम का नहीं शिक्षा वह नहीं जो आपको अहंकारी बनाए बल्कि वह है जो सरल बनाए।
भगवान को धन्यवाद देना सीखिए
मोटिवेशन स्पीकर ने कहा कि हम भगवान से मांगते हैं, यह अच्छी बात है। जैसे बच्चे अपने माता पिता से मांगते हैं, वैसे भगवान भी परमपिता परमात्मा है। हम मांगने के लिए तो लिस्ट लेकर बैठ जाते हैँ, लेकिन क्या कभी उसकी भी लिस्ट बनाई है, जो हमें भगवान ने दिया है। मनुष्य के पास जो होता है, उसकी उसे कद्र नहीं होती, चाहे वह लाखों की चीज हो, लेकिन उसे दो कौड़ी की ही लगेगी, लेकिन जो हमारे पास नहीं है और वह दो कौड़ी की है, तो भी वह लाखों की लगेगी।