गुजरात एटीएस व एनसीबी दिल्ली ने फैक्ट्री से 907.09 किलो एमडी (मेफेड्रोन) ड्रग्स बरामद किया है। ठोस व तरल फॉर्म में जब्त ड्रग्स की कीमत 1814.18 करोड़ है। टीम ने नशे के दोनों सौदागरों को गिरफ्तार किया है। फैक्ट्री में तैयार ड्रग्स के प्रदेश के सबसे बड़े सप्लायर हरीश आंजना को मंदसौर के मालिया खेर खेड़ा से दबोचा।
टीम ने फैक्ट्री से ड्रग्स बनाने का 5000 किलो रॉ मटेरियल और उपकरण जब्त किए हैं। बता दें कि आज सोमवार को भी टीम भोपाल में मौजूद है और इन्वेस्टिगेशन जारी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
2500 वर्गफीट के शेड में फैक्ट्री 6 माह से चल रही थी। ड्रग्स पर एमपी में यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले 2021 में इंदौर में 70 करोड़ के एमडी ड्रग्स पकड़ाए थे। इस कार्रवाई से एमपी पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है।
रोज 25 किलो ड्रग्स बना दूसरे राज्यों में बेचते थे
युवाओं की मौत का सामान तैयार करने वाली फैक्ट्री को लेकर एकेवीएन भूमिका साफ नहीं है। एकेवीएन ने 2018 में एमएस वास्तुकार नाम से 908 वर्गमीटर का प्लॉट जयदीप सिंह को दिया। उसने 3 साल पहले यह फैक्ट्री एसके सिंह को बेची। सिंह ने 6 माह पहले यह फैक्ट्री अवैध रूप से अमित चतुर्वेदी को किराए पर दी। अमित ने साबुन बनाने की बात कहकर लीज ली थी। इसके बाद अमित और सान्याल फैक्ट्री में रोज 25 किलो एमडी ड्रग्स बनाने लगे। वे ड्रग्स दूसरे राज्यों में सप्लाई करते थे। बाहर से लोगों को फैक्ट्री बंद दिखती थी। अंदर नशा तैयार होता था।
जिसके नाम पर प्लॉट उसने विभाग से छिपाया
एकेवीएन से प्लॉट लेने वाले जयदीप सिंह और खरीदकर किराए पर देने वले एसके सिंह पर केस दर्ज किया है। एकेवीएन के भोपाल क्षेत्रीय कार्यालय के कार्यकारी संचालक विशाल चौहान ने कहा, रिकॉर्ड में जयदीप है। उसने सूचना नहीं दी।
पुलिस
खुफिया तंत्र नाकाम रहा। गुजरात में एक आरोपी पकड़ा गया तब राज खुला, अन्यथा नशे का सामान यहां बनता रहता और पुलिस को पता नहीं चलता। उद्योग
इस विभाग का दायित्व है जमीन पर चल रहे काम जांचे व उत्पादन का रिकॉर्ड रखे। उद्योगों की सूचना पुलिस से साझा करने की व्यवस्था करे। गिरफ्तार अमित चतुर्वेदी (57) भोपाल के कोटरा और सान्याल बाने (40) नासिक का रहने वाला है। सान्याल दो माह पहले मुंबई ऑर्थर जेल से छूटा। वह 2017 में एमडी ड्रग्स के साथ पकड़ाया था। छूटते ही भोपाल में ड्रग्स बनाने लगा।
यूं जुड़ा गुजरात से भोपाल का लिंक
गुजरात पुलिस ने अगस्त में सूरत में ड्रग्स रैकेट पकड़ा। पूछताछ में नशे के सौदागरों ने बताया, देश में 4 फैक्ट्रियों में एमडी ड्रग्स बन रहे हैं। इनमें भोपाल की 1 फैक्ट्री है। तब गुजरात एटीएस व एनसीबी दिल्ली की टीम शनिवार को भोपाल पहुंची। कार्रवाई की। इन सवालों के जवाब अनसुलझे
- भोपाल से एमडी ड्रग कहां-कहां भेजा रहा है?
- ड्रग्स के खरीदार कौन-कौन हैं।
- लेन-देन किस तरह होते हैं?
- इतना बड़ा कारोबार किसकी संरक्षण से चल रहा था?
उद्योगों की जांच करेंगे
भोपाल पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया, ‘गुजरात पुलिस की सूचना पर हमारी पुलिस सहयोग में थी। उद्योगों को अंदर से हम अमूमन नहीं जांचते हैं। अब अभियान चलाएंगे। उद्योग विभाग के साथ काम करेंगे। ‘नशे खिलाफ अंकुश अभियान में 7 माह में 55 आरोपियों से 13 करोड़ का नशा बरामद किया है।’ एमडी ड्रग जैसा मामला नहीं था।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई
एमपी में नशे पर कार्रवाई हो रही है। इसमें सीमावर्ती प्रदेशों की पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई भी होती है। इस क्रम में गुजरात एटीएस-एनसीबी दिल्ली की कार्रवाई में एमपी ने सहयोग किया है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। – डॉ. मोहन यादव, सीएम