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भोपाल

मैनिट डायरेक्टर पद से अप्पू कुट्टन बर्खास्त, इनसे जुड़े 5 विवाद

एनआईटी सूरतकल-कर्नाटक के मैकेनिकल ब्रांच के प्रोफेसर अप्पू कुट्टन केके को 29 सितंबर 2011 को पांच साल के लिए मैनिट का डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। 

भोपालApr 22, 2016 / 09:41 am

Krishna singh

Appu Kuttan KK

Appu Kuttan KK

भोपाल. मानव संसाधन मंत्रालय ने मैनिट के डायरेक्टर अप्पू कुट्टन केके को तत्काल प्रभाव से डायरेक्टर पद से बर्खास्त कर दिया है। डॉ. कुट्टन अपने मूल संस्थान एनआईटी सूरतकल कर्नाटक में वापस लौटेंगे। मैनिट में अप्पू कुट्टन का कार्यकाल 11 सितंबर 2016 को पूरा होने वाला था, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गुरुवार को डायरेक्टर पद से बर्खास्तगी का आदेश जारी करते हुए मैनिट के प्रभारी डायरेक्टर डॉ. नरेंद्र एस चौधरी के पास पहुंचा दिया। मैनिट ने बर्खास्तगी की पुष्टि करते हुए पत्र सार्वजनिक किया है। 

एनआईटी सूरतकल-कर्नाटक के मैकेनिकल ब्रांच के प्रोफेसर अप्पू कुट्टन केके को 29 सितंबर 2011 को पांच साल के लिए मैनिट का डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। मैनिट में डॉ. कुट्टन अपनी ज्वाइनिंग के बाद से ही विवादों में छाए रहे। उन पर 5.6 करोड़ रुपए की स्टेट बिल्डिंग के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगा। इसके साथ नई लाइब्रेरी और संस्थान में विद्यार्थियों के लिए बनाए गए हॉस्टल के निर्माण में भी घपले का आरोप है। डॉ. कुट्टन मैनिट में फैकल्टी को संभालने में नाकाम साबित हुए। फैकल्टी ने प्रमोशन नहीं होने पर इनके खिलाफ मोर्चा तक खोल लिया था।

रिव्यू रिपोर्ट पर एक्शन
160 करोड़ रुपए के निर्माण में अनियमितता की शिकायत होने पर एमएचआरडी ने 2 नवंबर को 2015 को कमेटी भेजकर डायरेक्टर के कार्यकाल का रिव्यू कराया। संस्थान के सूत्रों के अनुसार कमेटी ने इनके खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी है। इसके बाद इन्हें हटाने की कार्रवाई की गई। 

नियुक्ति में मनमानी
प्रो. कुट्टन की मनमानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गैरशैक्षणिक तीन दर्जन से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए उन्होंने अपने ही अधिकार से आवेदन निकाल दिए थे। इसके लिए मानव संसाधन मंत्रालय तक से अनुमति नहीं ली गई थी। हालांकि इनमें नियुक्ति नहीं हो सकी।

कुट्टन बोले – मै खुश 
टर्मिनेशन के संबंध में जब प्रो. कुट्टन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे इस निर्णय के विरोध में कोर्ट नहीं जाएंगे। केवल साढ़े चार माह का कार्यकाल बचा था, ऐसे में जल्दी छुट्टी मिल गई, खुश हूं। 

यह आरोप भी 
-फैकल्टी पर स्टूडेंट के थ्योरी अंक बढ़ाने के लिए दबाव बनाना।
-नई फैकल्टी की नियुक्ति नहीं कर पाए।
-फैकल्टी को प्रमोशन नहीं दे पाए।
-लाइब्रेरी खस्ताहाल हैं।
-हॉस्टलों की खराब स्थिति।

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