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फिल्म सिटी के लिए जरूरी एयर कनेक्टिविटी की उपलब्धता इनके दावों को मजबूत करती है। मप्र में वर्तमान में फिल्म सिटी नहीं है। इसके चलते फिल्मों की शूटिंग के लिए स्थायी लोकेशंस के अलावा पोस्ट प्रोडक्शन वर्क के लिए फिल्म निर्माताओं को मुंबई का रुख करना पड़ता है। फिल्म सिटी बनने से स्थानीय स्तर पर तकनीशियनों समेत अन्य कलाकारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। एमपी टूरिज्म बोर्ड फिल्म सिटी के लिए कंपनियों को हर संभव मदद के साथ ही सब्सिडी देने की तैयारी में है। ये सब्सिडी निवेश की राशि पर निर्भर होगी।
अब 15 दिन में मिलने लगेगी मंजूरी
मप्र में अभी तक 150 से ज्यादा फिल्मों और वेबसीरिज की शूटिंग हो चुकी है। फिल्म टूरिज्म को बढ़ावा देने शूटिंग संबंधी मंजूरियों की प्रक्रिया को भी लोक सेवा गारंटी में शामिल करने की कवायद है। पहले इसके लिए 45 दिन तय थे। लोक सेवा गारंटी में आने से 15 दिन में मंजूरियां मिल जाएंगी।
देवास: देवास-इंदौर बाइपास पर स्थित शंकरगढ़ पहाड़ी की 41 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग के पास है। कंपनी ने यहां 150 करोड़ इन्वेस्ट करने का प्रस्ताव दिया था।
सीहोर: नोनीखेड़ा गांव में 167 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है। ये जगह भोपाल एयरपोर्ट से 23 किमी दूर है। यहां भी फिल्म सिटी बनाने पर विचार हो रहा है।
रायसेन: रायसेन जिले के निनोद गांव में 77 हेक्टेयर भूमि है। भोपाल से नजदीक होने के कारण यहां फिल्म सिटी बनाने का प्रस्ताव बनाया गया।
हनुवंतिया: नर्मदा के बैकवॉटर से तैयार हनुमंतिया टापू मप्र का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां 29 हेक्टेयर भूमि है। हनुमंतिया में हर साल जल महोत्सव होता है।
ओरछा: निवाड़ी जिले के ओरछा में 89 हेक्टेयर भूमि है। यहां फिल्म सिटी बनाए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। यहां आसपास कई पर्यटन स्थल हैं।
मप्र में फिल्म सिटी और फिल्म प्रोडक्शन की जरूरत है। इन्फ्रास्क्चर मुहैया कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
– उमाकांत चौधरी, डिप्टी डायरेक्टर, एमपी टूरिज्म बोर्ड