दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मध्यप्रदेश की एक्टिविस्ट मेधा पाटकर को 20 साल पुराने मानहानि के मामले में दोषी ठहराया है। उनके खिलाफ दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगाया था। पाटकर को दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
क्या कहा अदालत ने
अदालत ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराते हुए कहा है कि शिकायतकर्ता को कायर, देशभक्त नहीं और हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाने वाले आरोपी के बयान न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी तैयार किए गए थे।
यह है मामला
वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित एक एनजीओ नेशनल काउंसिल फार सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। एक टीवी चैनव पर उनके खिलाफ अपमानजिक टिप्पणी करने और मानहानिकारक बयान मीडिया में जारी करने के लिए सक्सेना ने उनके खिलाफ दो प्रकरण दर्ज कराए थे। जिस मानहानि के प्रकरण में मेधा पाटकर को दोषी ठहराया गया है, वह मामला 2003 का है। मजिस्ट्रेट ने 55 पन्नों के फैसले में कहा है कि प्रतिष्ठा एक व्यक्ति के पास मौजूद सबसे मूल्यवान संपत्ति में से एक होती है, क्योंकि यह व्यक्तिगत और पेशेवर, दोनों संबंधों को प्रभावित करती है और समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है।
सबूत पेश करने में विफल रही मेधा
अदालत ने कहा है कि पाटकर इन दावों का खंडन करने या यह दिखाने के लिए कोई सबूत पेश करने में विफल नहीं रही कि उनका उनके बयानों से होने वाले नुकसान का इरादा नहीं था या उन्हें इसका अंदाजा नहीं था।