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Navratri 2021 संकट आते ही दिखाया चमत्कार, शहर के लोगों को विपदा से बचाया

जब—जब कोई विपदा आती है, माता के चमत्कार दिखते शुरु हो जाते हैं

भोपालOct 09, 2021 / 08:26 am

deepak deewan

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भोपाल. माता मंदिर चौराहा… शहर से बाहर से आने वाले और शहर में ही मिनी बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए यह आवाज न्यू मार्केट आ जाने की पहचान होती चली आ रही है। लेकिन आज शहर के बीचों-बीच स्थित यह मंदिर कभी शहर की सीमा कहलाता था। १०० साल से भी अधिक प्राचीन यह मंदिर शहर या तब के कस्बे के किनारे पर होने के चलते खेड़ापति मंदिर कहलाता था।

मंदिर के धार्मिक -सामाजिक महत्व के बारे में पुजारी राजीव चतुर्वेदी ने पत्रिका को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यहां माता की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुईं. माता मंदिर नवाब कालीन मंदिर है, मान्यता है कि यहां शीतला माता की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी, जहां बाद में मंदिर बना ( मंदिर में शीतला माता-काली माता और हनुमान जी की प्रतिमाएं प्राचीन है। नवरात्र में तो यहां आस्था का मेला लगता है।

राजीव बताते हैं, हमारी चार पीढि़यां माता की सेवा करती चली आ रही हैं। ८० के दशक में विकास यहां को छू भी नहीं सका था तब मात्र तत्कालीन एमएसिटी (वर्तमान में मैनिट ) के लिए ही सिटी बसें आती थी. सात बजे के बाद तो पूरा इलाका सुनसान हो जाता था. फिर तेजी से विकास हुआ और यह शहर के बीचों-बीच आ गया।

Maa Kali starts showing miracles as soon as the crisis comes
IMAGE CREDIT: patrika
तीन बार होता है काली माँ का श्रृंगार
मंदिर में काली माता का नित्य तीन बार श्रंगार होता है। सुबह चार बजे, शाम चार बजे और रात्रि ११ बजे भी श्रृंगार होता है। मंदिर मात्र रात को १२ बजे से सुबह तीन बजे तक ही बंद रहता है। नवरात्रि में तो श्रृंगार इतने ज्यादा हो जाते हैं कि कई बार प्रत्येक घंटे में श्रृंगार बदलना पड़ता है। अष्टमी को कन्या भोजन और फिर नवमी को भंडारा होता है। कोरोना काल से हलवा का प्रसाद बांटा जाता है।
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शहर की सीमा की रक्षा करती थी खेड़े वाली माता
यह शहर की सीमा पर स्थित मंदिर था, जिसके चलते इसे खेड़े वाली मां का मंदिर भी कहा जाता था। भक्त बताते हैं कि मां ने हर संकट से शहरवासियों को बचाया है. जब—जब कोई विपदा आती है, माता के चमत्कार दिखते शुरु हो जाते हैं और उस आपदा से लोग अपने—आप निकल आते हैं. यही कारण है कि यहां भक्तों का मेला सा लगा रहता है.
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