मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास मात्र छिंदवाड़ा सीट है। पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए कांग्रेस रणनीति के साथ काम कर रही है। पार्टी छोडऩे वाले नेताओं की संख्या बढ़ते देख भी पार्टी अलर्ट है। अरुणोदय चौबे सागर लोकसभा क्षेत्र से दावेदारी कर रहे थे। नाम की चर्चा भी थी, लेकिन वे भाजपा में चले गए। सोमवार को हुई सीईसी की बैठक में जिताऊ और जिताऊ नेताओं पर चर्चा हुई।
सूत्रों का कहना है कि सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा, भिण्ड से फूलसिंह बरैया, राजगढ़ से प्रियव्रत सिंह, टीकमगढ़ से पंकज अहिरवार सहित अन्य सीटों पर भी नामों पर विचार हुआ।
नकुलनाथ छिंदवाड़ा (nakul nath chhindwara), अजय सिंह सतना, कमलेश्वर पटेल सीधी, फुंदेलाल मार्को शहडोल, आलोक चतुर्वेदी खजुराहो, सज्जन सिंह वर्मा और विपिन वानखेड़े देवास से, महेश परमार और रामलाल मालवीय उज्जैन से, बाला बच्चन खरगोन, कांतिलाल भूरिया रतलाम, मीनाक्षी नटराजन मंदसौर, तरुण भनोत जबलपुर, ओंकार सिंह मरकाम मंडला और हिना कांवरे बालाघाट से दावेदार हैं। बैठक के बाद जीतू ने कहा कि प्रदेश की लगभग 70 फीसदी सीटों पर उम्मीदवार तय हो गए हैं। बड़े नेताओं के चुनाव लडऩे के सवाल पर कहा, पार्टी का निर्णय सभी के लिए बाध्यकारी होगा।
सीईसी की बैठक के चलते पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव सक्रिय रहे। उन्होंने प्रदेश प्रभारी जितेन्द्र सिंह से मुलाकात की। यादव गुना से भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) से चुनाव लडऩे को तैयार हैं, जबकि यादव की परंपरागत सीट खंडवा है। अरुण 2018 के विधानसभा चुनाव में बुदनी से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन वे हार गए थे।