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भोपाल

एमपी की सियासत में चला था लेटर वॉर, सदन में नाराज होकर लालजी टंडन ने 1 मिनट में पढ़ा था अभिभाषण

20 जुलाई 2019 को लालजी टंडन मध्यप्रदेश के राज्यपाल बने थे।

भोपालJul 21, 2020 / 10:52 am

Pawan Tiwari

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भोपाल. मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार सुबह निधन हो गया। वो 85 साल के थे। लालजी टंडन को 11 जून को सांस लेने में तकलीफ और बुखार के चलते लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लालजी टंडन जब मध्यप्रदेश के राज्यपाल थे उस समय राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ था। सत्ता परिवर्तन के समय राज्यपाल ने कई लेटर लिखे थे। राज्यपाल लालजी टंडन का सख्त रवैया सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन गया था।
ऐसे शुरू हुआ था लेटर वॉर
मार्च के महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद उनके समर्थक विधायक कांग्रेस सरकार के खिलाफ लामबंद होकर बेंगलूरू चले गए थे। मध्यप्रदेश में मचे सियासी घमासान के बीच तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन ने लेटर लिखकर सरकार को बहुमत साबित करने को कहा था। राज्यपाल ने आदेश जारी कर फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। राज्यपाल ने आदेश देते हुए कहा था कि 16 मार्च को कमलनाथ सरकार अपना बहुमत साबित करे।
एमपी की सियासत में चला था लेटर वॉर, सदन में नाराज होकर लालजी टंडन ने 1 मिनट में पढ़ा था अभिभाषण
नहीं पढ़ा था पूरा अभिभाषण
गवर्नर के आदेश के बाद भी मध्यप्रदेश की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ था। इस बात से गवर्नर लालजी टंडन नाराज हो गए थे। उसके बाद राजभवन से तत्कालीन सीएम कमलनाथ को दूसरा लेटर जारी कर बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था। वहीं, राज्यपाल जब अभिभाषण के लिए विधानसभा गए तो उनकी नाराजगी साफ देखने को मिली थी। चालीस पन्नों के अभिभाषण को पूरा पढ़ने की जगह वह केवल एक मिनट में पढ़कर चले गए थे।
कमलनाथ ने भी लिखा था लेटर
उस समय के सीएम कमलनाथ ने भी राज्यपाल को लेटर लिखा था। कमलनाथ ने लिखा था- आपके द्वारा लिखा गया पत्र क्रमांक 77/PSG/2020 दिनांक 14 मार्च 2020 को मुझे मध्य रात्रि को मिला। महामहिम को मैं स्मरण कराना चाहूंगा कि 13 मार्च को जब मैं आप से मिला था तब मैंने आपको अवगत कराया था कि भाजपा के द्वारा कांग्रेस पार्टी के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न प्रकार का बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मैंने स्पष्ट किया किया था कि ऐसी परिस्थिति में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं होगा ऐसा करना पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा। फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण दबावमुक्त हों।
स्पीकर को भी लिखा था लेटर
मार्च महीने में मचे सियासी घमासान के बीच मध्यप्रदेश के तत्कालीन स्पीकर एनपी प्रजापति ने भी राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने राज्यपाल से बेंगलूरू में कैद विधायकों को छुड़वाने की अपील की थी। इस लेटर का जवाब देते हुए राज्यपाल ने कहा था- आपने अपने पत्र के अंतिम पैराग्राफ में विधायकों की सुरक्षा की मांग की है। प्रदेश के सभी नागरिकों की सुरक्षा का दायित्व कार्यपालिका का है गलती से ये लेटर आपने मुझे भेज दिया है।

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