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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिता के देहांत के बाद संभाली थी कमान, जानिए 10 खास बातें

– ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही पार्टी यानी कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका दिया है…..- सिंधिया ने खुद ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है

भोपालMar 10, 2020 / 02:06 pm

Astha Awasthi

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भोपाल। मध्य प्रदेश के राज परिवार से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही पार्टी यानी कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका दिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज चल रहे सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। सिंधिया ने खुद ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है।

बता दें कि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के लिये मंगलवार का दिन काफ़ी महत्वूपर्ण रहा। सोमवार की शाम तक राजधानी भोपाल में राजनीतिक सरगर्मिया तेज़ हो गईं थी और यह बात साफ़ हो गई कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सरकार से नाराज़ हैं और अब उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। इस खास मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास फैक्ट्स बता रहे हैं, जो शायद आपको न पता हो।

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1- ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी को मुम्बई के समुद्रमहल में हुआ था। उन्होंने 1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री ली। इसके बाद 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रुजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से MBA किया। ज्योतिरादित्य की बहन चित्रांगदा है, जो उनसे तीन साल बड़ी हैं।

2- 1971 की 1 जनवरी को पैदा हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के नामकरण को लेकर भी किस्सा है। ज्योतिरादित्य की दादी चाहती थी कि उनका नाम देवता ज्योतिबा के नाम पर रखा जाए, जबकि माधवराव और माधवीराजे ने विक्रमादित्य नाम सोच रखा था। बाद में उनका नाम ज्योतिरादित्य रखा गया।

3- सिंधिया वंश में कई पीढिय़ों से एकलौते पुत्र वारिस ही देखे गये हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, माधवराव सिंधिया के इकलौते पुत्र है और ज्योतिरादित्य के इकलौते पुत्र महाआर्यमन सिंधिया है। माधवराव के पिता भी जीवाजी राव भी एक अकेले वारिस ही थे।

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4- ज्योतिरादित्य सिंधिया के जन्म पर महीनो तक ग्वालियर में जश्न मनाया गया। क्योंकि उनके जन्म के साथ ही ग्वालियर राजघराने को अपना वारिस मिल गया था। ये इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे करीब 100 साल पहले सिंधिया राजवंश को वारिस गोद लेना पड़ा था।

5- 2001 में पिता की मौत के बाद बने ग्वालियर के नए महाराज।

6- सिंधिया घराने से संबंध रखने के कारण उन्हें राजनीति विरासत में मिली क्योंकि पिता स्व. माधवराव सिंधिया अपने समय के दिग्गज कांग्रेस नेता रहे वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआएं भी राजनीती में सक्रिय हैं। उनके पिता स्व. माधवराव संधिया 9 बार सांसद रहे थे।

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7- ज्योतिरादित्य ने 2002 में पहली बार पिता के देहांत के बाद उनकी पारंपरिक गुना सीट से चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे। 2004 में भी उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की लेकिन 2019 में वो अपनी इस सीट से चुनाव हार गए।

8- साल 2007 में पहली बार केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में मनमोहन सरकार में जिम्मा संभाला। इसके बाद 2012 में भी वो केंद्रीय राज्य मंत्री रहे।

9- 2019 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी ने उन्हें मध्यप्रदेश में कोई बड़ा पद देने की बजाय कांग्रेस महासचिव बना दिया। राज्य के विधानसभा चुनाव में संधिया को मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था लेकिन नतीजों के बाद कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए।

10- ज्योतिरादित्य और उनके पिता के कई किस्से है, जिसमें ट्रेजरी हंट, जंगल में खुले में घूमने जैसे खेल शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि माधवराव उन्हें निडर और साहसी बनाना चाहते थे, इसलिए बचपन में उन्हें टफ टास्क देते थे।

11- ज्योतिरादित्य सिंधिया का आशियाना पूरी दुनिया में खास है। वे 1874 में यूरोपियन शैली में बने शानदार महल जयविलास पैलेस में रहते हैं। इस शाही महल में कुल 400 कमरें हैं। महल की छतों पर सोना लगा हुआ है।

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