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नागरिकता अधिनियम पर आधारित भारतीय संविधान में इससे संबंधित प्रावधान है, जिसे संविधान के भाग II में अनुच्छेद 5 से 11 तक दिए गए हैं। ये अधिनियम भारत में नागरिकता प्राप्त करने के 5 तरीके बताता है, जिसकी इन दिनों खास चर्चा हो रही है। आइये उन्ही पांच तरीकों को हम भी समझ लेते हैं।
1. जन्म के आधार पर नागरिकता
2. वंश के आधार पर नागरिकता
3. पंजीकरण के आधार पर नागरिकता
4. प्राकृतिक रूप से नागरिकता
5. किसी क्षेत्र विशेष के अधिकरण के आधार पर नागरिकता
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राष्ट्रीयता की परिभाषा समझें
“व्यक्ति की राष्ट्रीयता उसकी जन्मभूमि की जानकारी देती है। राष्ट्रीयता के माध्यम से पता चलता है कि व्यक्ति किस मूल का है।” राष्ट्रीयता एक व्यक्ति को कुछ अधिकार और कर्तव्य प्रदान करता है। एक राष्ट्र अपने नागरिकों को विदेशी आक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है जिसके बदले में वह नागरिकों से यह उम्मीद करता है कि राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का भी पालन करें।
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नागरिकता की परिभाषा समझें
कोई भी व्यक्ति भले ही वो किसी भी देश का हो, संबंधित देश की नागरिकता तभी ले सकता है, जब उस देश की सरकार उसे नागरिकता देने की परमीशन दे। ये परमीशन कानूनी औपचारिकताओं का अनुपालन करने के बाद दी जाती है। हालांकि, नागरिकता के आधार पर किसी भी व्यक्ति के जन्मस्थल के बारे में नही जाना जा सकता। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार, हर संप्रभु देश अपने कानून के अनुसार तय कर सकता है कि, किस व्यक्ति को देश का सदस्य बनाना चाहिए या नहीं।
अगर कोई व्यक्ति किसी देश की नागरिकता ले ले, तो कानूनी तौर पर उसे देश के राष्ट्रीय आयोजनों जैसे वोट डालने का अधिकार, नौकरी करने का अधिकार, देश में मकान खरीदने और रहने का अधिकार मिल जाता है। भारतीय संविधान में नागरिकों को अधिकार देने के साथ साथ कुछ कर्तव्यों की बात भी स्पष्ट रूप से की गई है। जैसे- कर भुगतान, राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान, राष्ट्रगान का सम्मान, महिलाओं की अस्मिता की रक्षा और जरुरत पड़ने पर देश की रक्षा करने खड़े होना, देश हित की जरूरत के लिए अन्यदेशों से लड़ना भी हमारा कर्तव्य है।
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राष्ट्रीयता और नागरिकता के बीच ये हैं खास अंतर
-किसी भी व्यक्ति से उसकी राष्ट्रीयता को छीना नही जा सकता जबकि नागरिकता छीनी जा सकती है।
-राष्ट्रीयता की अवधारणा देशज या जातीय है, जबकि नागरिकता की अवधारणा कानूनी या न्यायिक प्रकृति है।
एक व्यक्ति एक से अधिक देशों की राष्ट्रीयता नहीं ले सकता, जबकि एक व्यक्ति एक से अधिक देशों का नागरिक बन सकता है।
-राष्ट्रीयता, जन्म और विरासत के द्वारा प्राप्त होती है। जबकि नागरिकता को जन्म, विरासत, प्राकृतिक रूप और विवाह के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।
-किसी भी व्यक्ति की राष्ट्रीयता कभी नहीं बदलती, जबकि उसकी नागरिकता बदली जा सकती है, क्योंकि एक जीवन में एक से ज्यादा कई देशों की अलग अलग समय में नागरिकता ले सकते हैं।
-राष्ट्रीयता एक व्यक्तिगत सदस्यता है, जो व्यक्ति के जन्मस्थल की पहचान कराती है। दूसरी ओर नागरिकता, राजनीतिक/कानूनी स्थिति है, जो कि किसी व्यक्ति को कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने मिलती है।
-राष्ट्रीयता उस स्थान या देश की जानकारी देती है, जिस देश में व्यक्ति विशेष का जन्म होता है जबकि नागरिकता सरकार द्वारा व्यक्ति को दी जाती है। यहां हम इसे उदाहरण के तहत समझते हैं जैसे-
अदनान सामी पाकिस्तानी मूल का निवासी है, लेकिन काम के चलते उसे कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भारत की नागरिकता मिल गई। इससे ये स्पष्ट है कि, अदनान सामी की राष्ट्रीयता पाकिस्तान है लेकिन, उसकी नागरिकता भारतीय है। इसी तरह अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की राष्ट्रीयता भारतीय है(माता या पिता किसी एक के भारतीय होने के कारण) लेकिन अमेरिका ने उन्हें नागरिकता दी है, तो इसलिए वो अमेरीकी नागरिक हैं।