Navratri 2024 : राजा भोज की नगरी में है मां काली का चमत्कारी मंदिर, जहां होती है हर मुराद पूरी
Navratri 2024 : इस नवरात्रि चलिए जानते हैं भोपाल में मौजूद मां काली के चमत्कारी मंदिरों के बारे में। मान्यता है कि माता के दर पर आया कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता।
Navratri 2024 : शारदीय नवरात्रि की चहल-पहल मंदिरों से लेकर बाजारों तक देखने को मिल रही है। रोजाना लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए अलग-अलग मंदिरों में पहुंच रहे हैं। नवरात्र के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है। आज दुर्गा उत्सव के छठवें दिन मां कात्यायनी और सातवें दिन माता कालरात्रि की आराधना की जाती है। राजधानी भोपाल में मां काली के कई प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर हैं, जहां मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश से भक्त दर्शन करने के लिए आते है।
झीलों के शहर भोपाल के छोटा तालाब के पास बने काली माता मंदिर से भक्तों की अटूट आस्था जुडी हुई है। आम दिनों में भी भारी संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए आते रहते है। वहीं नवरात्रि के समय इस मंदिर में श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है। लंबी कतारों में लगकर भक्त अपनी पारी का इंतजार करते है। 1967 में इस चमत्कारी मंदिर का निर्माण कराया गया था।
ये भी पढ़ें – Navratri 2024 : आपस में भिड़ गई थीं दो चमत्कारी देवियां, झगड़ा शांत कराने पहुंचे थे बजरंगबली कहा जाता है कि कई साल पहले तक यहां एक छोटी से मड़िया हुआ करती थी लेकिन धीरे-धीरे भक्तों की आस्था बढ़ती गई और मंदिर का विकास होता गया। आज 108 फिट ऊंचे शिखर वाले इस मंदिर की झलक भक्तों को दूर से नजर आ जाती है। मान्यता है कि मां काली के दर पर मांगी गई मुराद मां जल्द पूरी कर देती है।
कंकाली माता मंदिर (Kankali Mata Temple)
एमपी में माता काली के कई मंदिर है जो अपने चमत्कारों के कारण दुनिया भर में काफी लोकप्रिय है। भोपाल से लगभग 25 किलोमीटर दूर मां कंकाली के दर पर आए कभी खली हाथ नहीं लौटते। नवरात्रि के समय विदेशों से श्रद्धालु यहां अपनी मन्नते लेकर आते हैं।
ये भी पढ़ें – जिस मंदिर में पुजारी से पहले कोई चढ़ा जाता है फूल, वहां की देवी को भक्तों ने चढ़ाई 2 हजार मीटर लंबी चुनरी 400 साल पुराने इस मंदिर का इतिहास इसके चमत्कारों की ही तरह बेहद रोचक है। कहा जाता है कि लगभग 18वीं शताब्दी के दौरान स्थानीय निवासी हर लाल मेडा को माता का स्वप्न आया था जिसमे उसे खुदाई कर मूर्ति निकालने का आदेश दिया। आदेश को मानते हुए उस जगह जब खुदाई की गई तो मां कंकाली की मूर्ति बाहर निकली जिसे वहीँ पर स्थापित किया गया।
मां कंकाली को लेकर एक बड़ी अनोखी मान्यता प्रचलित हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि की सप्तमी और अष्टमी के दौरान मां कंकाली की टेढ़ी गरदन कुछ पल के लिए सीधी हो जाती है। इस दौरान अगर माता से कुछ भी मांगा जाए तो मां कंकाली भक्तों के जीवन की सारी परेशानियां हमेशा के लिए खत्म कर देती है।
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